अब न फेरबदल, न ही विस्तार

अब न फेरबदल, न ही विस्तार

मनीष दीक्षित ♦ भोपाल। शिवराज कैबिनेट में न तो फेरबदल होगा, न ही विस्तार। बीजेपी मौजूदा 'सरकार' के बूते ही चुनाव मैदान में उतरेगी। यह खबर उन मंत्रियों के लिए बहुत राहत भरी हो सकती है, जिन्हें परफॉर्मेंस के आधार पर मंत्री पद से हटाए जाने की चर्चा राजनीतिक गलियारे में चल रही थी। लेकिन , उन विधायकों की तो उम्मीदों पर पानी फिर गया, जो चुनाव से पहले मंत्री बनने के लिए गुणा-भाग में लगे थे। इसकी वजह यह है कि अपने पिछले तीन कार्यकाल के दौरान शिवराज सिंह ने चुनावी वर्ष में मंत्रिमंडल विस्तार किया था, मुख्यमंत्री के इसी ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए दावेदार नेताओं ने दिल्ली में सक्रियता बढ़ा दी थी।

कैबिनेट में चार मंत्रियों की जगह खाली

वर्तमान में मुख्यमंत्री को मिलाकर कैबिनेट में 31 सदस्य हैं। मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 35 सदस्य हो सकते हैं। यानी 4 पद खाली हैं। उप चुनाव के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक दो मंत्री इमरती देवी और एंदल सिंह कंसाना चुनाव हार गए थे। इनके विभाग महिला व बाल विकास व पीएचई मुख्यमंत्री के पास हैं। मुख्यमंत्री के पास इन दोनों विभागों के अलावा जनसंपर्क, सामान्य प्रशासन, नर्मदा घाटी और विमानन विभाग हैं। सरकार के सूत्रों का कहना है कि बीजेपी में सिंधिया समर्थकों की एंट्री के बाद से पार्टी की मूल विचारधारा वाले नेताओं में नाराजगी बढ़ी है। इसलिए यदि कैबिनेट में फेरबदल या विस्तार किया जाता है, तो मंत्री पद की उम्मीद लगाए कुछ विधायक नाराज होंगे। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व भी शिवराज कैबिनेट में बदलाव करने के पक्ष में नहीं है। कई विधायक जुलाई 2020 में हुए अंतिम कैबिनेट विस्तार में जगह नहीं पा सके, उन्हें पूरी उम्मीद थी कि चुनाव से पहले उन्हें मंत्री पद मिल जाएगा। खासकर विंध्य- महाकोशल के विधायक, जो 2013 के कार्यकाल में मंत्री रहे। अब इन दावेदारों की चिंता यह है की अगली बार उन्हें टिकट मिलेगा भी की नहीं ?

3 साल में 2 बार हो चुका विस्तार

शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल के दौरान 3 साल में दो बार मंत्रिमंडल विस्तार हो चुका है। पहला अप्रैल 2020 में हुआ था, जिसमें 5 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। दूसरा विस्तार उप चुनाव के बाद जुलाई 2020 में किया गया था। उसमें 28 विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था।

चुनावी वर्ष में विस्तार

जून 2008 - शिवराज सिंह चौहान ने अपने पहले कार्यकाल का अंतिम मंत्रिमंडल विस्तार जून 2008 में किया था। इस फेरबदल में रामदयाल अहिरवार, निर्मला भूरिया, नारायण प्रसाद कबीरपंथी और जगन्नाथ सिंह को शामिल किया गया था।

अगस्त 2013 - दूसरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री ने अपना अंतिम मंत्रिमंडल विस्तार अगस्त 2013 में किया था। इसमें विजय शाह, अंतरसिंह आर्य, दशरथ लोधी और रामदयाल अहिरवार को शामिल किया गया।

फरवरी 2018 - सीएम ने तीसरी पारी में अंतिम विस्तार फरवरी 2018 में किया था। इस दौरान बालकृष्ण पाटीदार, नारायण सिंह कुशवाहा और जालम सिंह पटेल को मंत्री बनाया था।

ये विधायक थे मंत्री बनने की कतार में

अनुसूचित जाति - भोपाल के विष्णु खत्री, अशोकनगर के जजपाल सिंह जज्जी, नरयावली से प्रदीप लारिया और जतारा से हरीशंकर खटीक।

ब्राह्मण - रीवा से राजेंद्र शुक्ला व शरदेंदु तिवारी, कटनी से संजय सत्येंद्र पाठक और भोपाल से रामेश्वर शर्मा।

ओबीसी - हाट पिपलिया से मनोज चौधरी व इंदौर-5 से महेंद्र हार्डिया।

एसटी - जोबट से सुलोचना रावत।

राजपूत - सिलवानी से रामपाल सिंह और मंदसौर से यशपाल सिंह सिसोदिया ।

सामान्य - इंदौर-2 से रमेश मेंदोला और रतलाम से चेतन काश्यप।

तो बढ़ता विंध्य का कोटा

2023 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी अब स्थानीय और जातिगत समीकरण भी साधने की तैयारी में थी। विंध्य क्षेत्र में 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था। 2023 में यहां फिर से उसी तरह के प्रदर्शन को दोहराने के लिए मंत्रियों की संख्या बढ़ने की उम्मीद थी।

अब 200 पार की तैयारी

इस चुनाव से पहले भाजपा ने नारा दिया है- अबकी बार 200 पार। इसके लिए पार्टी के प्रदेश शीर्ष नेतृत्व से लेकर मैदानी कार्यकर्ताओं तक सभी को सक्रिय किया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह प्रदेश के लगातार दौरे कर रहे हैं।