महंगा पेट्रोल; जनवरी में घाटे की भरपाई, फिर भी नहीं घट रहे दाम

महंगा पेट्रोल; जनवरी में घाटे की भरपाई, फिर भी नहीं घट रहे दाम

भोपाल। महंगाई के इस दौर में जहां हर महीने जरूरत की अधिकतर वस्तुओं की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है, वहीं पेट्रोल- डीजल के दामों में बदलाव नहीं होना आम लोगों में चर्चा का विषय बन गया है। एक मई 2017 से देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें हर रोज तय करने का डेली डायनामिक प्राइसिंग नियम लागू हुआ था। इसके जरिए क्रूड की कीमतों के आधार पर पेट्रोल-डीजल के दाम तय होते थे। लगभग एक साल से देश में पेट्रोल- डीजल के दामों में बदलाव नहीं हुआ है। आखिरी बार कीमतें 22 मई 2022 को बढ़ी थीं। तब क्रूड 110 डॉलर प्रति बैरल पर था, जो जून 2022 में 120 डॉलर तक पहुंच गया था। खास बात ये है कि इस एक साल के अंतराल में क्रूड आॅयल के दामों में कमी भी आई, मगर उसका लाभ आम जनता को नहीं मिल सका। पिछले कुछ महीनों से क्रूड के दाम भी 80-90 डॉलर के बीच चल रहे हैं। मई में कर्नाटक चुनाव होने हैं। ऐसे में उम्मीद है कि चुनाव से पहले आम जनता को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कुछ राहत दी जा सकती है।

युद्ध के दौरान 139 डॉलर तक पहुंच गया था क्रूड

फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था। इसका असर तेल की कीमतों पर पड़ा और क्रूड की कीमतें 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। हालांकि, भारत ने युद्ध के दौरान ही रूस से कम दाम पर क्रूड खरीदना शुरू किया, जो अब भी जारी है। तब से लेकर अब तक क्रूड की कीमतों में तमाम उतार-चढ़ाव आए। लेकिन, भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर रहीं। जब क्रूड की कीमतें 70 बैरल तक आ गर्इं तो र्इंधन की कीमतों में कटौती की मांग उठने लगी। हालांकि, तब कंपनियों ने घाटे की भरपाई की बात कहकर कीमतें कम करने से इनकार कर दिया था।

घाटे की भरपाई आखिर कब तक

कंपनियों का कहना है कि जब क्रूड के दाम ऊपर थे, तब उन्होंने कीमतें नहीं बढ़ार्इं। इससे अप्रैल 2022 से सितंबर 2022 के बीच छह महीनों में करीब 21 हजार करोड़ का नुकसान हुआ। इसकी भरपाई के लिए हमने पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम नहीं कीं। अहम बात ये है कि क्रूड की कीमतें एक या दो माह ही ऊपर रहीं। इसके बाद से यह लगातार 100 डॉलर से नीचे हैं।

नहीं मानी मंत्री की अपील

बीते 22 जनवरी को वाराणसी में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने तेल कंपनियों से अपील की थी कि यदि उनके घाटे की भरपाई हो गई है, तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम करें। लेकिन, इस अपील का कोई असर फिलहाल तेल कंपनियों पर देखने को नहीं मिला। देश के अधिकतर हिस्सों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर के पार है, तो वहीं डीजल के दाम औसतन 90 रुपए प्रति लीटर से ऊपर चल रहे हैं।

इसलिए घटनी चाहिए कीमतें

आम आदमी महंगाई से जूझ रहा है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम होने से न केवल घर के बजट पर असर पड़ता है, बल्कि जरूरी वस्तुओं के परिवहन का खर्च भी घटता है। इससे आवश्यक वस्तुओं की कीमतें भी कम होती हैं। पेट्रोल-डीजल महंगा होने से मुद्रास्फीति में कमी होने का असर भी आम आदमी तक नहीं पहुंच पाता है। पेट्रोल-डीजल से लेकर खाने के तेल और आटे-दाल तक का भाव पहले से ही हर परिवार को चुभ रहा है। कर्ज की ईएमआई बढ़ने से पीड़ा और बढ़ गई है। अब छोटे-बड़े व्यापारियों से लेकर घर और कार तक के लोन लेने वालों पर बढ़ी ईएमआई की मार पड़ रही है। साथ में बाजार की महंगाई अलग से झेलनी है। यदि पेट्रोल- डीजल के दामों में आई कमी आम जनता तक पहुंचती है तो इससे उन्हें बड़ी राहत मिल सकती है।