चिंता और अवसाद के कारण युवा अधिक कर रहे हैं आत्महत्याएं : डॉ. पाल

चिंता और अवसाद के कारण युवा अधिक कर रहे हैं आत्महत्याएं : डॉ. पाल

इंदौर। आजकल युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। चिंता और अवसाद से आत्महत्याएं अधिक हो रही हैं। आत्महत्या भी एक प्रकार का मानसिक रोग है, जिसका समाधान होना चाहिए। हमारे युवा सोशल मीडिया से अधिक जुड़े रहते हैं, जबकि अपने परिवार और समाज से कम, जिसके कारण वह स्वयं को अकेला पाता है। जरा-सी हार को वह पचा नहीं पाता और निराश होकर स्वयं को समाप्त कर लेता है, जो गलत है। युवाओं को सकारात्मक सोच रखना होगी और टीम भावना रखते हुए हार-जीत से ऊपर उठना होगा।

यह बात मनोरोग विशेषज्ञ और मेंटल हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. वीएस पाल ने दो दिवसीय बैक टू बेसिक कार्यशाला के समापन अवसर पर कही। निजी होटल में आयोजित कार्यशाला में देशभर से 30 मनोरोग विशेषज्ञ को आमंत्रित किया गया। इसमें मैसूर के सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. टीएस राव, देहरादून एम्स के डॉ. रवि गुप्ता, इंदौर के डॉ. रमण शर्मा, चंडीगढ़ के डॉ. संदीप ग्रोवर शामिल हैं।

कॉन्फ्रेंस में डॉ. जेएस राव ने कहा कि सामान्यत: व्यक्ति यौन समस्याओं के बारे में बात करने से कतराता है, शर्माता है। कई लोगों को कॉमन प्रॉब्लम होती है, जिसका निराकरण मनोरोग चिकित्सक के पास है।

डॉ. रवि गुप्ता ने कहा कि नींद न आना भी मानसिक रोग या मानसिक समस्या है, जिसका इलाज संभव है। योग और सकारात्मक सोच से इस समस्या को दूर किया जा सकता है। डॉ. रमण शर्मा ने कहा कि बुजुर्ग समाज में भी बीमारियां बढ़ रही हैं। तनाव, अवसाद भी इसका कारण है। डॉ. संदीप ग्रोवर ने कहा कि मरीज की हिस्ट्री को जाने बगैर मानसिक रोग का इलाज संभव नहीं है।

मनोरोग चिकित्सक डॉ. राहुल माथुर ने बताया कि यह कॉन्फ्रेंस मानसिक रोग विभाग एमजीएम मेडिकल कॉलेज एवं सेंट्रल सैक्रेटिक सोसायटी द्वारा आयोजित की गई थी। कार्यशाला में मप्र सहित उत्तरप्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड के 128 मनोरोग विभाग के 128 पोस्ट ग्रेज्यूएट स्टूडेंट शामिल हुए।