क्लाइमेट चेंज से विश्व चिंतित, दुबई में जुटेंगे 160 देशों के नेता
दुबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार शाम को क्लाइमेट चेंज कॉन्फें्रस में भाग लेने के लिए दुबई की दो दिन की यात्रा पर रवाना हो गए। यह समिट उत्सर्जन को कम करने और मौसम संबंधी घटनाओं से निपटने में विकासशील देशों का समर्थन करने पर केंद्रित होगा। यह जलवायु को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की कॉन्फ्रेंस आॅफ पार्टीज की 28वीं बैठक का हिस्सा है, इसलिए इसे सीओपी28 (उडढ28) नाम दिया गया है। मोदी समेत 160 देशों के नेता इस समिट में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से निपटने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। इस दौरान मोदी भारत के महत्वाकांक्षी जलवायु एजेंडे और संबंधित मुद्दों पर अपनी बात रख सकते हैं। मोदी को समिट में हिस्सा लेने के लिए यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने न्योता दिया है। यूएई की अध्यक्षता में 28 नवंबर से 12 दिसंबर तक सीओपी28 का आयोजन किया जा रहा है। सीओपी28 जलवायु प्रतिबद्धताओं पर कार्य करने और जलवायु परिवर्तन के सबसे खराब प्रभावों को रोकने के लिए एक अहम पहलू माना जा रहा है।
सदी के अंत तक तापमान वृद्धि को लेकर होगी चर्चा इस समिट में 2015 पेरिस समझौते को लागू करने में वैश्विक प्रगति का पहला आकलन होगा। इसके निष्कर्ष हैं कि दुनिया इस सदी के अंत तक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की दिशा में नहीं है। देश भविष्य के लिए योजनाएं विकसित कर रहे हैं, लेकिन ये इतना तेज नहीं हैं कि समय सीमा के अंदर वार्मिंग को सीमित किया जा सके।
विकासशील देशों को मुआवजा देने पर कोष को मंजूरी दी गई दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता की शुरुआत अच्छी रही। सदस्य देशों ने जलवायु संकट में कम योगदान देने के बावजूद इसका खामियाजा भुगतने वाले विकासशील और गरीब देशों को मुआवजा देने के बारे में शीघ्र समझौता किया। बैठक के पहले दिन हानि और क्षति कोष के संचालन पर समझौता अगले 12 दिन में महत्वाकांक्षी निर्णयों के लिए मंच तैयार करता है।
70 हजार लोग होंगे शामिल: यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के 198 देश सदस्य हैं। समिट में 160 वैश्विक नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों के अलावा समिट में बिजनेस लीडर, युवा, जलवायु वैज्ञानिक और अन्य विशेषज्ञों समेत 70,000 लोग शामिल होंगे।