वन विहार में की मजदूरी, दीवारों पर रंगोली बनाते हुए सीखी चित्रकारी
जनजातीय संग्रहालय की ‘लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा’ में 37वीं शलाका एग्जीबिशन का आयोजन किया गया। इस एग्जीबिशन में भील समुदाय की चित्रकार गंगूबाई के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई। यह प्रदर्शनी 30 मई तक चलेगी। इस प्रदर्शनी में हल चलाना, बैलगाड़ी और बच्चे, गल बापजी, विवाह के अवसर पर बनाए जाने वाला चित्र, खजूर का पेड़, मक्का और चिड़िया, नीम का पेड़ और हिरण, कछुआ जैसे विषयों शामिल किए गए।
मानव संग्रहालय में कर रही हूं चित्रकर्म
गंगूबाई ने बताया कि मैं मूलत: मेघनगर, झाबुआ की रहने वाली हूं। 15 वर्ष की उम्र में शादी हो गई। इसके बाद भोपाल आकर वन विहार में मजदूरी करने लगी। उन्होंने बताया कि इसके बाद मानव संग्रहालय में मजूदरी करते हुए वहां दीवारों और आंगन में रंगोली बनाती थीं। संग्रहालय में आमंत्रित कलाकारों को चित्रकारी करते हुए देखना अच्छा लगता था। इस तरह संग्रहालय में काम करते हुए उन्हीं कलाकारों की संगत से चित्रकला के प्रारंभिक गुर सीखे और धीरे-धीरे संग्रहालय से ही जुड़ गई। उन्हीं कलाकारों की संगत से चित्रकारी करना शुरू किया। पिछले लगभग 20 वर्षों से चित्रकारी कर रही हूं। अपने जीवनानुभवों और जातीय बोध को रूपाकार दे रही हूं। वर्तमान में मानव संग्रहालय में चित्रकर्म का कार्य करती हूं।