महिलाओं का रतजगा, कल रात भर गूंजेंगे भजन
जबलपुर। सितंबर माह में तीज-त्योहारों की धूम शुरू हो गई है। हरतालिका तीज पर 18 सितंबर को महिलाओं का रात्रि जागरण होगा। तीजा पर निर्जला व्रत रखा जाता है और घर- घर में रात भर भजन-कीर्तन होते हैं। इसके दूसरे दिन 19 सितंबर को प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश घर- घर विराजेंगे और 10 दिनों तक भक्तिमय माहौल नजर आएगा। उल्लेखनीय है कि भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। हरतालिका तीज व्रत कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। सनातन मान्यता है कि सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए इस व्रत को किया था। हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
ये है पौराणिक कथा
हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। हिमालय पर गंगा नदी के तट पर माता पार्वती ने भूखे-प्यासे रहकर तपस्या की थी। माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
ये है पूजन मुहूर्त
पंचाग के अनुसार 17 सितंबर को 11 बजकर 8 मिनट से तृतीया तिथि शुरू होगी जो अगले दिन यानी 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार से यह व्रत 18 सितंबर को ही रखा जाएगा। 18 सितंबर को सुबह 6 बजे से रात के 8 बजकर 24 मिनट तक का समय शिव और पार्वती की पूजा के लिए उपयुक्त है। लेकिन शाम को प्रदोष काल के समय पूजा करना बेहद अच्छा माना जाता है। सूर्यास्त के बाद के लगभग ढाई घण्टो का काल प्रदोष काल कहा जाता है। अत: शाम को स्थानीय सूर्यास्त के बाद दो घण्टों के भीतर पूजन कर लेना चाहिए। इस व्रत का पारण 19 सितम्बर को प्रात: 6 बजे के बाद होगा।