संसद से बिल पारित होने की राह देख रहीं महिला नेत्रियां, शहर में मिलेंगी 3-3 सीटें
जबलपुर। संसद में महिलाओं को चुनावों में 33 फीसदी आरक्षण का बिल संभवतय पारित हो सकता है,ऐसा कोई अधिकृत रूप से तो नहीं कह रहा है मगर जानकार मान रहे हैं कि जिस तरह से केन्द्र सरकार ने 18 सितंबर से संसद का सत्र आहूत किया है और इसका एजेंडा सांसदों तक को अभी तक नहीं मिला है,तो इसमें यह प्रस्ताव भी हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो महिला नेत्रियों की बल्ले- बल्ले हो सकती है। मौजूदा परिवेश में महिला नेतृत्व 10 फीसदी से भी कम है। चुनाव में महिलाओं को टिकट देने के मामले में दरकिनार कर दिया जाता है। बाकी प्रदर्शन हों या पार्टी की रीति-नीति को लेकर कामकाज हों इसमें महिला नेत्रियों का भरपूर उपयोग किया जाता है। आधी आबादी से वोट लेने के लिए इनका इस्तेमाल तो होता है मगर टिकट के समय इन्हें किनारे कर दिया जाता है।
ये हैं दावेदार
भाजपा की बात की जाए तो महापौर का सफलता पूर्वक कार्यकाल पूर्ण करने वाली डा. स्वाती गोडबोले,सुशीला सिंह के नाम हैं। वहीं संगठन में काम कर रहीं अश्विनी परांजपे और रागिनी यादव भी सशक्त नेत्रियां मानी जाती हैं।कांग्रेस में पूर्व मंत्री रहीं कौशल्या गोंटिया,विधायक व महापौर रहीं सुश्री कल्याणी पाण्डेय, महापौर का चुनाव लड़ चुकीं गीता शरत तिवारी और केंट से विधायक का चुनाव लड़ चुकीं तविंदर कौर गुजराल के नाम प्रमुख हैं। इन सभी का कहना है कि प्रधानमंत्री जी महिला नेतृत्व को लेकर संजीदा हैं और हमें उनसे उम्मीद है कि वे संसद में यह बिल पारित करेंगे जिससे महिलाओं को भी चुनाव में सीटें आरक्षित हो सकेंगी।
जिले में हैं आठ विधानसभा सीटें
यदि जबलपुर की ही बात की जाए तो यहां जिले में 8 विधानसभा सीटें हैं जिसमें से केवल 1 में भाजपा विधायक सिहोरा से नंदनी मरावी हैं। इसके अलावा कांग्रेस से एक भी महिला विधायक नहीं है। लंबे समय से महिला नेत्रियों को टिकट ही नहीं मिली है। यदि संसद में यह बिल पास होता है तो शहर से 3-3 सीटें कांग्रेस और भाजपा को महिला नेत्रियों को देनी होंगी।
संसद का एजेंडा गुप्त रखा गया है इसमें महिलाओं को चुनाव में आरक्षण का विधेयक शामिल हो सकता है,यदि यह लाया गया तो महिला नेत्रियों के लिए अवसर खुलेंगे। विवेक तन्खा,राज्यसभा सांसद