महिला केंद्रित चुनाव फिर भी भाजपा कांग्रेस में ‘महिला मास लीडर’ नहीं!
भोपाल। भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बने विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। चुनाव कैंपेनिंग के मुद्दों में दोनों ही दल महिला वोटर्स को रिझाने बढ़-चढ़ कर वादे-दावे करने में जुटे हैं। लेकिन प्रदेश में दोनों ही दलों के पास सर्वमान्य 'महिला मास लीडर्स' का अभाव है। प्रदेश की सवा करोड़ से अधिक महिलाओं को नकद राशि से लाभान्वित करने वाली लाड़ली बहना सहित कई योजनाओं को भाजपा अपने लिए 'गेम-चेंजर' मान रही है। कांग्रेस ने महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए, 500 रुपए में गैस सिलेंडर, मुफ्त बिजली और बच्चों की शिक्षा देने का वादा कर दिया है। राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के पास मास लीडर्स के रूप में मंत्री निर्मला सीतारमन और स्मृति ईरानी हैं जबकि कांग्रेस के पास प्रियंका गांधी जैसा का सशक्त चेहरा है।
सुमित्रा-उमा और सुषमा-जमुना के बाद ‘वैक्यूम’
भाजपा के पास लोकप्रिय महिला नेत्री के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती जैसे बड़े कद की नेत्री हैं। पार्टी ने पिछले महीने निकली जनआशीर्वाद यात्राओं में कई राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद और महिला नेत्रियों का उपयोग किया लेकिन इस महत्वाकांक्षी यात्रा में उमा की भूमिका नजर नहीं आई। लोकसभा अध्यक्ष रहीं सुमित्रा महाजन अब सक्रिय राजनीति से दूर हैं। विदिशा से सांसद और मोदी मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री रहीं स्व. सुषमा स्वराज भी बड़े कद की सर्वमान्य नेत्री रही है। प्रदेश के अलावा संसद की डिबेट और राष्ट्रीय स्तर पर उनकी छवि लोकप्रिय महिला नेत्री की रही है। पार्टी के पास इस कद की अन्य दूसरी लोकप्रिय महिला मास लीडर की कमी दिख रही है। कांग्रेस में वरिष्ठ नेत्री और नेता प्रतिपक्ष रहीं स्व. जमुना देवी के बाद उस कद की अन्य कोई नेत्री उभर कर नहीं आई। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 16 और कांग्रेस ने अब तक 19 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है जबकि 2018 चुनाव में भाजपा ने 23 और कांग्रेस ने 28 महिला प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा था।
भाजपा की प्रदेश स्तरीय नेत्रियां
भाजपा के पास सांसद कविता पाटीदार, मंत्री उषा ठाकुर, यशोधरा राजे सिंधिया, मीना सिंह, अर्चना चिटनिस, लता वानखेड़े और माया नारोलिया सहित कई नेत्रियों की लंबी कतार है।
कांग्रेस की महिला ब्रिगेड
मप्र में कांग्रेस की बड़ी नेत्रियों में डॉ विजय लक्ष्मी साधो, विभा पटेल, और शोभा ओझा सहित कुछ अन्य नाम हैं। लेकिन इन्हें प्रदेश के सभी हिस्सों में बतौर 'क्राउड पुलर' अथवा मास लीडर की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
1बनाना पड़ता है अपना स्थान
महिलाओं को कोई पीछे धकेल रहा ऐसा नहीं है। अपना स्थान बनाना पड़ता है। हम लोग विपक्ष में ज्यादा समय रहे काफी संघर्ष करना पड़ा। इसलिए स्वतंत्र काम दिखा। हमने महिला मोर्चा खड़ा किया। पार्टी में कई नेत्रियां अच्छा काम कर रही हैं। - सुमित्रा महाजन, पूर्व लोस अध्यक्ष