शिशुओं में क्यों हो रहा जन्मजात बहरापन, जल्द की जाएगी रिसर्च
जबलपुर। प्रदेश में पहली बार नवजात शिशुओं में जन्मजात बहरेपन की बीमारी को लेकर शोध कार्य किया जाएगा। शिशु में बहरेपन बीमारी कारण जिसमें प्रमुख तौर पर अनुवांशिकता के प्रमाण जुटाने के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के चिकित्सक अपने यहां के 10 साल के डेटा पर अध्ययन करेंगे। साथ ही आने वाले नए पीड़ित शिशुओं के माता पिता के साथ उनके परिजनों की हिस्ट्री भी जुटाई जाएगी कि कहीं उनके परिजनों में किसी को यह बीमारी थी या नहीं।
समाज में जागरूकता का अभाव
ईएनटी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. कविता सचदेवा ने बताया कि जन्मजात बहरेपन की बीमारी के लगातार केस सामने आ रहे हैं। इसमें कई बच्चे जो कि इस बीमारी से पीड़ित होते हैं वे जन्म के चार से पांच साल के बीच में हमारे पास आ पाते हैं। इसकी वजह है समाज में इसे लेकर जागरूकता की कमी होना।
रिसर्च से ये होगा फायदा
रिसर्च से नवजात शिशुओं को होने वाली बीमारी के कारणों का पता करने के साथ उन्हें समय पर उपचार दिया जा सकेगा। साथ ही नए चिकित्सकों को इस बीमारी से पीड़ितों को पहचान करने में मदद मिलेगी।
एक लाख के बीच 3 केस अनुवांशिकता
के डॉ. सचदेवा के मुताबिक जन्मजात बहरेपन के कई कारण हो सकते हैं इनमें बहरेपन के लिए एक लाख में 3 मरीज अनुवांशिकता वाले मिलते हैं। वहीं जन्मजात बहरेपन प्री-मेच्योर डिलेवरी, गर्भवती काल में माँ का गंभीर बीमारी से पीड़ित होना भी शामिल होता है।
हर साल 5 हजार से ज्यादा की स्क्रीनिंग
मेडिकल कॉलेज की ईएनटी विभाग के आंकड़ों की मानें तो हर साल ईएनटी विभाग 5 हजार से ज्यादा बच्चों की स्क्रीनिंग करता है। इसमें करीब 25-30 बच्चे जन्मजात बहरेपन की बीमारी से पीड़ित मिलते हैं।
जन्मजात शिशुओं में बहरेपन के कारणों का पता लगाने व इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं इसे लेकर विभाग रिसर्च करेगा। इसमें पिछले 10 साल में सामने आए मरीजों का डेटा की भी स्टडी की जाएगी। -प्रोफेसर डॉ. कविता सचदेवा विभागाध्यक्ष ईएनटी विभाग मेडिकल कॉलेज जबलपुर