कांग्रेस 3 लाख की लीड कवर करने में, तो भाजपा पिछली लोस का रिकॉर्ड तोड़ने जुटी
जबलपुर। मतदान के लिए अब 4 दिन का समय शेष है और पांचवे यानि 19 अप्रैल को मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। अपने-अपने पक्ष में मतदाताओं को रिझाने के लिए जी- तोड़ कोशिशें जारी हैं। नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में आठों क्षेत्रों में कांग्रेस 3 लाख से अधिक मतों से पराजित हुई थी। इस लीड को कवर करने की कवायद कांग्रेस प्रत्याशी के द्वारा की जा रही है वहीं भाजपा में इतना उत्साह है कि वे पिछली लोकसभा चुनाव के परिणाम जो कि 4 लाख से ज्यादा मतों से जीत हुई थी से भी अधिक लीड लेने का दावा कर रहे हैं।
जहां भाजपा प्रत्याशी ज्यादा से ज्यादा लोगों से व्यक्तिगत प्रचार पर जोर दे रहे हैं जिनका साथ पूरा भाजपा संगठन है और शायद ही कोई हिस्सा जनसंपर्क से अछूता हो,वहीं कांगे्रस प्रत्याशी ने अनोखा तरीका अपनाया है वे खुद को बेहद दीन-हीन साबित करते हुए एक वोट एक नोट मांगकर लोगों को आकर्षित कर रहे हैं,इतना ही नहीं वे साइकिल पर प्रचार करते भी नजर आ रहे हैं।
मतदाता का एक वर्ग ऐसा भी है जो राजनीतिक पार्टियों के दावों से कन्जफ्यू है। उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि भाजपा सही है या कांग्रेस। हालाकि ज्यादातर का विजन क्लीयर है और वे जानते हैं कि उन्हें किसे मतदान करना है। इस सब के बाद भी एक बात तो साफ है कि मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में ही है। चुनाव मैदान में19 प्रत्याशी हैं जिनमें से भाजपा-कांग्रेस को छोड़ा जाए तो बाकी 17 शो-पीस की तरह साबित होने वाले हैं। इन में कोई ऐसा एक भी नहीं है जो इन दोनों पार्टियों के वोटरों को प्रभावित कर पाएगा।
दोहरी चुनौती का सामना कर रही कांग्रेस
कांग्रेस प्रत्याशी दोहरी चुनौती का सामना करते दिख रहे हैं। जबलपुर में अभी तक स्टार प्रचारक के नाम पर कांग्रेस से सिवाय जीतू पटवारी के कोई नजर नहीं आया है। दूसरी चुनौती विधानसभा में क रारी पराजय जिसमें 3 लाख मतों से हार का सामना करना पड़ा था। हालाकि कांग्रेस की मुसीबतें यहीं पर खत्म नहीं होतीं। लोकसभा टिकट के साथ शहर में कांग्रेस अध्यक्ष का नाम दिया गया जिससे संगठन की स्थिति समझी जा सकती है। बूथ स्तर तो दूर नगर संगठन अभी तक लोकसभा क्षेत्र में पहुंच नहीं बना पाया है।
इतने गरीब तो नहीं हैं दिनेश
कांग्रेस प्रत्याशी 1 वोट 1 नोट जो कि 1,10 या 100 रुपए तक का हो मांग रहे हैं। वे कई जगह साइकिल से प्रचार करते भी दिख रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता रवीन्द्र पचौरी कहते हैं कि दिनेश यादव इतने कमजोर तो नहीं हैं। वे आर्थिक रूप से सक्षम हैं,खुद को दीन-हीन दिखाना शायद उनकी चुनावी रणनीति का हिस्सा होगा।
मोदी-अमित व नड्डा भर गए उत्साह
वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने अप्रत्याशित रूप से प्रत्याशी के रूप में आशीष दुबे को सामने लाया मगर उनके पीछे पूरा संगठन खड़ा नजर आ रहा है। यहां सबसे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा,अमित शाह और फिर खुद पीएम नरेन्द्र मोदी आ चुके हैं जो कार्यकर्ताओं में उत्साह भर गए हैं। अब भाजपा विगत लोस परिणामों जो कि सवा चार लाख से जीते थे से आगे बढ़कर लीड लेने के लिए काम करती दिख रही है।