जबलपुर को मिले न मिले,प्रदेश को मिली,इतने में ही रखना होगा संतोष

जबलपुर को मिले न मिले,प्रदेश को मिली,इतने में ही रखना होगा संतोष

जबलपुर। संस्कारधानी के साथ एक बार फिर छलावा हुआ है। तमाम दावों और घोषणाओं के बीच वंदे भारत भोपाल को मिल गई है जिसका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 1 अप्रैल को भोपाल में लोकार्पण कर सकते हैं। वहीं कुछ जिम्मेदार तो यह तक कह रहे हैं कि जबलपुर को न मिली तो क्या हुआ मध्यप्रदेश को तो वंदे भारत मिल गई,आगे जबलपुर को भी मिल जाएगी।

गौरतलब है कि जनप्रतिनिधियों ने वंदे भारत को लेकर संस्कारधानी की आशाएं जगा दी थीं,इस पर रेलवे की तैयारियों ने इन आशाओं को पंख लगा दिए थे। ऐन टाइम पर रविवार को जब खबर आई कि वंदेभारत भोपाल से नई दिल्ली के लिए चलेगी तो जैसे शहर पर वज्रपात सा हुआ। यदि शुरू से ही जिम्मेदारों द्वारा दावे न किए जाते तो भी शायद शहरवासियों को इतना झटका न लगता मगर आशाएं बंधाकर जब छल हुआ तो लोग अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

भोपाल पहुंचा रैक

सोमवार को वंदे भारत का रैक भोपाल पहुंच गया है जहां डीआरएम सौरभ बंदोपाध्याय ने ट्रेन का निरीक्षण किया है। यह ट्रेन भोपाल से नई दिल्ली शताब्दी की तुलना में सवा घंटे पहले पहुंचेगी और 7 घंटे 50 मिनट में सफर तय करेगी।

जबलपुर से गया ट्रेनिंग में स्टाफ

जबलपुर से इस ट्रेन के चलाने की संभावना को देखते हुए कटनी और जबलपुर से भारी संख्या में रेलवे स्टाफ को ट्रेनिंग के लिए सिकंदराबाद और नई दिल् ली भेजा गया था। इसके बाद जबलपुर में भी प्रशिक्षण दिया गया था,सारी तैयारियां धरी रह गईं और ट्रेन भोपाल को मिल गई। जबलपुर में कोच रखरखाव की तैयारियां और अधिकारियों के द्वारा कई बार तारीखें तक दे दी गईं थीं।

संभावनाएं समाप्त नहीं हुई हैंजबलपुर से वंदे भारत चलेगी ऐसा कभी नहीं कहा गया,फिर अभी संभावनाएं समाप्त नहीं हुई हैं। आगे चलकर इसके लिए हम प्रयास करते रहेंगे। प्राथमिकता के आधार पर वंदे भारत के संचालन का निर्णय लिया जा रहा है। राकेश सिंह, सांसद

मप्र को तो मिल गई बहुत हैजबलपुर को भले ही वंदे भारत न मिल पाई हो मगर मध्यप्रदेश को तो मिल ही गई है,आगे जबलपुर को भी मिलेगी। इसका उदघाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी 1 अप्रैल को भोपाल से करेंगे। अभिलाष पाण्डेय,सदस्य रेलवे बोर्ड सलाहकार समिति

मैं होता तो भोपाल की ट्रेन ले आता

भाजपा के जबलपुर के नेतृत्व इतना शक्तिशाली ही नहीं है कि अपने वरिष्ठ नेताओं को झुका सके। मैं होता तो भोपाल की ट्रेन जबलपुर ले आता। कमलनाथ जी के साथ ऐसे कई निर्णय किए भी हैं। विवेक तन्खा,राज्यसभा सदस्य

शहर के साथ गलत हुआ

जबलपुर का कद राजनैतिक नक्शे पर कितना है यह वंदे भारत ट्रेन के छिन जाने से स्पष्ट हो जाता है। जबलपुर एवं आसपास की जनता के लिए यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। सुनील मिश्रा, सदस्य रेल उपयोग सलाहकार समिति जबलपुर