स्टेडियम, कन्वेंशन सेंटर व ओपन थिएटर जैसे प्रोजेक्ट का जनता को कब मिलेगा लाभ

स्टेडियम, कन्वेंशन सेंटर व ओपन थिएटर जैसे प्रोजेक्ट का जनता को कब मिलेगा लाभ

जबलपुर। स्मार्ट सिटी द्वारा बड़े प्रोजेक्ट्स पर जिम्मेदारों के ध्यान न दिए जाने से ये समय सीमा में नहीं तैयार हो पा रहे हैं। ऐसे में इनकी लागत 25 फीसदी बढ़ चुकी है। 3 साल में पूरे होने वाले प्रोजेक्ट वर्तमान यानि 7 साल बाद पूर्णता पर हैं या पूरे हो चुके हैं। ऐसे प्रोजेक्टों में राइट टाउन स्टेडियम में तैयार होने वाले मिनी स्पोर्ट्स सेंटर, घंटाघर का कन्वेंशन सेंटर, ग्वारीघाट भटौली में तैयार होने वाले ओपन थिएटर जैसे प्रोजेक्ट मुख्य हैं। जिम्मेदारों का कहना है कि कोरोना काल के दौरान काम थम गया था। इसके कारण 2 साल विकास कार्यों के लिए भारी गुजरा है। इन प्रोजेक्ट्स में काम करवाने वाली कंपनियों के लेबर के चले जाने से काम प्रभावित हुआ था। यदि ये प्रोजेक्ट एकाध साल भी लेट होते तो उपरोक्त कारणों पर विश्वास किया जा सकता था मगर 7 साल बाद भी ये जनता के काम नहीं आ रहे हैं।

ये प्रोजेक्ट्स हुए उपेक्षा के शिकार

स्मार्ट रोड लागत 75 करोड़: राइट टाउन क्षेत्र में 70 करोड़ रुपए की लागत से 5.5 किमी लंबी स्मार्ट रोड बननी थी। पहले फेज में सत्कार होटल से होमसाइंस कॉलेज तक स्मार्ट रोड बनाई मगर इसमें भी काम अधूरा है। तीन पत्ती से घमापुर,मदनमहल से रानीताल तक की स्मार्ट रोड का काम प्रारंभिक चरण में किया गया है। वहीं घमापुर से रांझी तक 26 करोड़ रुपए से बनने वाली स्मार्ट रोड का काम भी अधूरा है। कई जगह सड़क की चौड़ाई भी घटा दी गई है।

एनएमटी कॉरीडोर लागत 10 करोड़: ओमती नाले के ऊपर 1.8 किमी का नॉन मोटराईज्ड ट्रैक एनएमटी बनाया जा रहा है जिसकी लागत 10 करोड़ रुपए है। वहीं बस स्टैंड से मदनमहल भातखंडे संगीत महाविद्यालय तक इसका दूसरा फेज बनाया जा रहा है,इस काम की हालत भी दयनीय है।

कन्वेंशन सेंटर लागत 55 करोड़: घंटाघर के पास 2 एकड़ भूमि में कन्वेंशन सेंटर जिसे कल्चरल सेंटर भी कहा जा रहा है का निर्माण 7 सालों से जारी है। सेंटर में 900 व्यक्तियों की क्षमता के ऑडिटोरियम का निर्माण हो रहा है। यहां पर अन्य सांस्कृतिक गतिविधियां भी हो सकेंगी। यहां पर भी काम बढ़ाकर होटल जैसा प्रोजेक्ट किया जा रहा है।

स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स राइट टाउन स्टेडियम लागत 35 करोड़: राइट टाउन स्टेडियम में 35 करोड़ से मिनी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का निर्माण पूरा हो चुका था,मगर इसमें काम बढ़ाया गया है,अब सामने की ओर खिलाड़ियों के रुकने की जगह पार्किंग आदि में 45 करोड़ से काम हो रहा है। यह काम भी बेहद लेटलतीफी का शिकार बन चुका है। मूल स्टेडियम का आकार छोटा कर दिया गया है और उस पर एक रुपया भी खर्च नहीं किया जा रहा है।

ये प्रोजेक्ट फेल हो चुके

  • इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के तहत शहर के 20 चौराहों में कैमरे व स्पीकर लगने थे मगर 7 में ही लग पाए। यह प्रोजेक्ट 26 करोड़ का है। 
  • पजल पार्किँग मानस भवन 2.17 करोड़ का यह प्रोजेक्ट केवल अधिकारियों के वाहन रखने के काम आ रहा है। 
  • पजल पार्किंग सिविक सेंटर: 8.30 करोड़ से बनी सिविक सेंटर की 2 पजल पार्किंग केवल महीना वार वाहन रखने वालों के काम आ रही हैं,ट्रैफिक पूर्ववत अराजक है,सड़क किनारे वाहन पार्क हो रहे हैं। 
  • पब्लिक साइकिल शेयरिंग: पीपीपी प्रोजेक्ट के तहत इकलौते प्रोजेक्ट को 6 माह में ही बंद कर दिया गया। 
  • इंक्यूवेशन सेंटर- यह कहां बना है,क्या काम कर रहा है,इससे कितने युवा लाभान्वित हुए हैं इस बारे में कभी कोई बात सामने नहीं आई। 
  • शारदा चौक सीसी रोड: 2.31 करोड़ से बनाई गई इस रोड को भोपाल से आई टीम ने रिजेक्ट कर दिया,9 बार कोर कटिंग के बाद इसे पास तो कर दिया गया मगर कई जगह नालियां नहीं बनीं,रोड की गुणवत्ता पर भी सवाल उठे।