टीआई बना रेपिस्ट तो साक्ष्य जुटाने में ठिठकी पुलिस

टीआई बना रेपिस्ट तो साक्ष्य जुटाने में ठिठकी पुलिस

ग्वालियर। निष्पक्ष कार्रवाई का वादा करने वाली पुलिस महकमे के निरीक्षक के आरोपी बनने पर साक्ष्य जुटाने में ठिठक गई। इसके पीछे का कारण अभी स्पष्ट नहीं हुआ है लेकिन पलड़ा झाड़ने के लिए पुलिस ने ताले पर ताला ठोक दिया है। पूछने पर बताया गया है कि मौके से साक्ष्य लिए गए। जबकि ऐसा हुआ तो फिर आरोपी के घर तालाबंदी क्यों की गई। वहीं मामले में आरोपी टीआई की गिरफ्तारी ना होने पर पुलिस के ऊपर तमाम प्रश्न खड़े हो रहे हैं। क्योंकि टीआई की फरियाद पर पुलिस ने फौरन आरोपी युवती को अरेस्ट कर जेल भेज दिया था। ज्ञात हो कि हजीरा थाना के तत्कालीन टीआई तिमेश छारी ने बीती 5 नवम्बर को मिनी कौरव और उसके दो साथियों पर ब्लैकमेलिंग का केस दर्ज कराया था।

जिसमें टीआई ने बताया था कि आरोपियों ने उनसे पांच लाख की रकम ऐंठी है। इस प्रकरण में पड़ाव पुलिस ने टीआई की फरियाद पर तत्काल मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद घर से रकम जब्त कर ली थी। जिसके बाद आरोपी मिनी कौरव ने टीआई तिमेश छारी के ऊपर बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया था। इस शिकायत में युवती ने घटनास्थल हजीरा स्थित टीआई को मिला सरकारी क्वार्टर बताया था। सवाल यहां खड़ा होता है कि पुलिस ने उक्त घटना स्थल से एफआईआर के बाद भी कोई साक्ष्य एकत्रित नहीं किया। जबकि पुलिस चाहती तो पंचनामा तैयार कर क्राइम स्पॉट से घटना से जुड़े सबूत एकत्रित कर सकती थी। लेकिन महकमे के अधिकारी के आरोपी बनने पर पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई करने में ठिठकी और सवालों के घेरे में खड़ी हो गई।

अग्रिम जमानत हुई खारिज

पुलिस निरीक्षक के ऊपर लगे दुष्कर्म के आरोप में टीआई द्वारा जमानत के लिए अग्रिम याचिका न्यायालय में लगाई गई थी। लेकिन न्यायालय ने उक्त याचिका को खारिज कर दिया। सूत्रों की माने तो टीआई का ब्लैकमेलिंग के दौरान आरोपी युवती को रकम देना ही उनके ऊपर लगे आरोप का एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है।

कहां से आए पांच लाख

आचार संहिता के बीच टीआई द्वारा ब्लैकमेलिंग की इतनी मोटी रकम (पांच लाख) देने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जबकि आमजन से पुलिस द्वारा पचास हजार से ऊपर की रकम पर बिल के साथ तमाम कागजात मांगे जा रहे थे। पुलिस ने इस प्रकरण में आरोपी युवती के घर से अड़ीबाजी के 2 लाख 40 हजार जब्त किए थे, जिसके बाकी हिस्से से युवती ने गोल्ड लोन चुकाना बताया था।

साक्ष्य मिटे तो कौन होगा जिम्मेदार

रेप के आरोपी पुलिस निरीक्षक के घर पर इतने लम्बे समय बाद मंगलवार को तालाबंदी करना विवेचना पर सवाल खड़े करता है। साथ में यह बात भी है कि घटना दिनांक से अभी तक तालाबंदी से बचने के दौरान साक्ष्य मिटाए गए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।

ताला तोड़ने में चूकी पुलिस

दुष्कर्म के मामलों में अकसर पुलिस घटना स्थल पर तत्काल पहुंच कर साक्ष्य एकत्रित करती है, जबकि इस रेप कांड में पुलिस ने 16 दिन बीतने के बाद भी कोई साक्ष्य नहीं जुटाए। सूत्र बताते है कि टीआई द्वारा उल्टा एफआईआर से बचने के लिए विवेचक ने ऐसा नहीं किया।