इंस्टा रील्स बनाने के लिए वेस्टर्न डांस, कॅरियर के लिए शास्त्रीय नृत्य बना लोगों की पसंद

इंस्टा रील्स बनाने के लिए वेस्टर्न डांस, कॅरियर के लिए शास्त्रीय नृत्य बना लोगों की पसंद

डांस को लेकर लोगों में क्रेज बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। पहले रिएलिटी शो में जाकर परफॉर्म करना कई लोगों का सपना होता था लेकिन अब एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है, जिसमें यंगस्टर्स किसी पर निर्भर होकर पॉपुलर होने की बजाए खुद की रील बनाकर वायरल करके पॉपुलेरिटी हासिल करना चाहते हैं और यही वजह है कि अब वेस्टर्न डांस में इंस्टेंट डांस और हिपहॉप का चलन बढ़ा है। वहीं कुछ साल पहले तक शास्त्रीय नृत्य गुरुओं के पास पेरेंट्स यह पूछने आते थे कि क्या वे बॉलीवुड डांस सिखाते हैं क्योंकि तब क्लासिकल डांस आम लोगों की रुचि का विषय नहीं था लेकिन अब यह सवाल बदल गया है अब पेरेंट्स अपने बच्चों को क्लासिकल डांस के साथ ही इस विषय की पढ़ाई भी करना चाहते हैं।

हिपहॉप डांस का बढ़ रहा है चलन

\वेस्टर्न डांस को लेकर लोगों का क्रेज अब नए तरह से देखा जा रहा है और यह थोड़ा हैरानी भरा भी है। यह कहना है, भोजपुर क्लब में डांस ट्रेनर आशीष मालवीय का। वे कहते हैं, अब लोग इंस्टाग्राम और फेसबुक पर रील्स शेयर के लिए डांस सीख रहे हैं। उनका सीधा कहना होता है, सर हमें रील बनाने के लिए फटाफट डांस सीखा दो लेकिन यह तभी संभव है जबकि डांस थोड़ा पहले से आता हो। यही वजह है कि अब हिप-हॉप स्टाइल में डांस ज्यादा सीखा जा रहा है। ट्रेंडी गानों पर डांस करने का चलन और पुराने गानों के रीमेक पर डांस का शौक लोगों में बढ़ा है। अब यंगस्टर्स ही नहीं बल्कि महिलाएं भी रील बनाने के लिए डांस सीख रही हैं, इसके अलावा फिटनेस डांस में जुबा और एरोबिक्स तो हमेशा से ही पसंद बने हुए हैं। इसके अलावा मानसरोवर कॉलेज और समर कैंप में 400 से 500 लोगों को डांस सीखा रहा हूं।

250 शिष्य सीख रहे भरतनाट्यम

डॉ. मंजूमणि हतवलने कहती हैं, मेरे पास इस समय लगभग 250 बच्चे व बड़े भरतनाट्यम सीख रहे हैं और इसमें से कई इसका पूरा कोर्स करने की तैयारी कर रहे हैं। शुरुआती दो साल तो नृत्य में रमने में निकल जाते हैं और फिर इसके बाद शास्त्रीय नृत्य की पढ़ाई शुरू कर सकते हैं। बच्चों को सिखाने के साथ ही हमारे पास जो अवसर उपलब्ध होते हैं उसके मुताबिक बच्चों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय नृत्य समारोह व बड़े आयोजनों में प्रस्तुति के लिए लेकर जाते हैं। हमारी एकेडमी के बच्चों ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में प्रस्तुति दी और हाल में मेरी बेटी तनिष्का ने रीवा में पीएम मोदी के पंचायती राज सम्मेलन में प्रस्तुति दी। ऐसे कई बच्चे हैं जो कि शास्त्रीय नृत्य को शौक के लिए नहीं बल्कि विधिवत शिक्षा हासिल करने रूप में सीख रहे हैं।

अब उत्साह से कथक सीखने आते हैं बच्चे

कथक नृत्यांगना स्वाति पिल्लई कहती हैं, पहले मेरे पास लोग यह पूछने आते थे कि कथक से हटकर क्या मैं बच्चों को बॉलीवुड डांस सिखा सकती हूं लेकिन मैं शुद्ध कथक ही सिखाती हूं तो उन्हें मना कर देती थी लेकिन अब लोग बहुत उत्साह से अपने बच्चों को लेकर सिर्फ शास्त्रीय नृत्य सीखने की चाहत से आते हैं तो बहुत खुशी होती है। जो बच्चे रेगुलर सीख रहे हैं उन्हें बड़े मंचों से प्रस्तुति का मौका भी मेरा साथ मिलता है। हमने हाल में इंटरनेशनल तमिल संगम में प्रस्तुति दी जिसे काफी सराहा गया। इसके अलावा बच्चे कथक में पांच व आठ साल का डिप्लोमा करते हैं जिसके बाद वे चाहे तो इसमें यूजी व पीजी कर सकते हैं। मैं खुद इस समय कथक में पीएचडी कर रही हूं।