‘हम करते रहे हैं नदी-तालाब की पूजा, वेटलैंड भी संरक्षित करेंगे’: मुख्यमंत्री
इंदौर। विश्व वेटलैंड दिवस के अवसर इंदौर की रामसर साइट सिरपुर तालाब पर भव्य कार्यक्रम के दौरान केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा देश की 80 वेटलैंड साइट को संरक्षित करने के साथ ही इनके आर्थिक विकास पर जोर दिया गया। कार्यक्रम में यशवंत सागर के कमल और जलकुंभी से बने गुलदस्ते भेंट में दिए गए। यहां मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वेटलैंड भूमि से उत्पन्न उत्पादों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। साथ ही वेटलैंड गाइड 2024 भी जारी की गई। कार्यक्रम दौरान 200 से अधिक स्कूली बच्चें मौजूद रहे जिन्होंने रामसाइट के बारे जानकारी ली।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि नदी, तालाब, कुएं और मातृ भूमि पूजने की हमारी परंपरा रही है, इसलिए आर्द्रभूमि को भी संरक्षित करने का काम कर रहे हैं। हमारी संस्कृति में सभी प्रकार के जीव-जंतु, नदी-पहाड़- पर्वत में ईश्वर का स्वरूप माना गया है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि पौधों में जीवन होने के तथ्य को प्रमाणित करने वाले नोबल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना ने कहा था कि पेड़-पौधों में प्राण होने का विश्वास भारतीय मानस में सांस्कृतिक रूप से रचा-बसा है।
मोदी के कार्यकाल में बढ़ी आर्द्रभूमि की संख्या
रामसर सचिवालय की महासचिव डॉ. मुसंदा मुबा ने कहा कि भारत में 1982 में मात्र दो रामसर साइट्स थीं, जो अब 80 हो गई हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत में जल संरक्षण और जैव विविधता को बचाने के लिए जारी कार्य सराहनीय और प्रेरणास्पद है। शीघ्र ही इंदौर को रामसर सिटी के रूप में जाना जाएगा।
पहले बदबू आती थी अब बन रहा है पर्यटन स्थल
नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जल स्त्रोतों का सम्मान और उनके प्रति श्रद्धा भाव हमारी संस्कृति का भाग रहे हैं। सिरपुर तालाब से यहां पहले बदबू आती थी लेकिन अब यह पर्यटन स्थल बन गया है। इंदौर को वेटलैंड सिटी के रूप में भी पहचान मिले इस दिशा में भी प्रयास करने की जरूरत है।
सिरपुर तालाब को दूषित नहीं होने दिया जाएगा
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा, इंदौर सौभाग्यशाली है यहां शहर के पास दो अर्बन रामसर साइट है, आने वाले समय में यहां के आर्थिक को लेकर काम काम करेंगे, गुलाबट के कमल दूर-दूर प्रसिध्द हो चुके हैं। सोशल मीडिया के माध्यम पर्यटन स्थल का प्रमोशन हो रहा है। यहां कौन से उत्पादों को प्रोमट किया जा सकता है इस पर मंथन किया जाएगा। मात्र 45 दिन में यहां जलकुंभी हटाई गई है। 20 एमएलडी पानी ट्रीट करने वाली क्षमता का प्लांट यहां जुलाई 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगा।