लेफ्ट टर्न वाले साहब के अरमानों पर फिरा पानी

लेफ्ट टर्न वाले साहब के अरमानों पर फिरा पानी

जबलपुर।  नगर निगम मुख्यालय में एक समय जिन साहब के नाम की तूती बोलती थी। उन साहब ने शहर के विकास के लिए नया प्रयोग किया था। उन्होंने शहर के प्रमुख चौराहों को जाम से मुक्त करने के लिए लेफ्ट टर्न का अभिनव प्रयास किया था। उनकी इस अपील पर कई दानदाताओं ने अपनी करोड़ों की जमीन मुफ्त में दे दी थी। विडंबना यह है कि आज शहर के वही लेफ्ट टर्न अतिक्रमण की चपेट में आ गए हैं। ऐसे में शहर विकास के इस अभिनव कार्य को पलीता लग रहा है। गौरतलब है कि तत्कालीन निगमायुक्त वेद प्रकाश के प्रयासों से शहर के प्रमुख चौराहों पर लेफ्ट टर्न बनाए गए थे।

ये प्रमुख चौराहे अब अतिक्रमण की चपेट में आ गए हैं। खास बात ये है कि यातायात अमले और नगर निगम के अतिक्रमण दस्ते की नाक के नीचे हुए अतिक्रमणों को हटाने के लिए कोई प्रयास भी नहीं हो रहे हैं। ऐसे में लोगों को रेड सिग्नल के दौरान शार्ट कट निकलने का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है। हाल ये है कि 60 सेकेण्ड के रेड सिग्नल ग्रीन होने के बाद लोग घेरकर रास्ता पार कर रहे हैं।

इन्होंने किया था भूमि का दान

ब्लूम चौक पर एक समय सर्वाधिक ट्रेफिक जाम की समस्या थी। नगर निगम की पहल पर यहां उद्योगपति कैलाश गुप्ता ने अपनी 1 हजार फीट नि:शुल्क उपलब्ध कराई थी। वहीं दूसरी तरफ के लेफ्ट टर्न के लिए जायसवाल परिवार ने नगर निगम को फ्री में जमीन दे दी। इसी तरह तीन पत्ती चौक पर बंगाली परिवार ने अपने मिष्ठान सेंटर का आधा हिस्सा शहर विकास के लिए दे दिया था। उधर, दमोह नाका चौक पर भी भूमि अधिग्रहीत कर लेफ्ट टर्न बनाया गया था।

यहां बढ़े कब्जे

यदि नौदरा ब्रिज चौराहे को छोड़ दिया जाए तो अनेक चौराहों के लेफ्ट टर्न अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए हैं। गोरखपुर से ग्वारीघाट रोड पर सब्जी वालों ने कब्जा कर लिया है। दमोह नाका के लेफ्ट टर्न पर अघोषित रूप से वाहन स्टैंड बन गया है। तीन पत्ती चौक पर ऑटो और चार पहिया वाहन अवरोधक बन गए हैं। इसी तरह रसल चौक पर होटलों में आए वाहनों का अतिक्रमण देखा जा सकता है।

लेफ्ट टर्न में इनका रहा योगदान

हमें एप्रोच किया गया था। जनहितार्थ के लिए मैंने नेपियर टाउन में 1 हजार फीट जमीन नि:शुल्क दे दी थी। इस तरह के शहर विकास के लिए लोगों को आगे आना चाहिए। वहीं जिन लेफ्ट टर्न पर अतिक्रमण बढ़ रहे है तो प्रशासन की कड़ी कार्रवाई होना जरूरी है। -कैलाश गुप्ता,उद्योगपति

शहर की अधो संरचना का मेंटनेंस होना चाहिए। जिस प्रकार हम घर को संवारते हैं, उसी तरह जनप्रतिनिधियों और नगर निगम के अधिकारियों को शहर को संवारने गंभीर प्रयास करना चाहिए। जो भी डेव्लपमेंट हो गया है, उस पर लगातार निगरानी होना चाहिए। -वेद प्रकाश, समाज सेवी