दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड पाने वाली 8वीं महिला कलाकार वहीदा
पद्मश्री व पद्म भूषण से भी हो चुकी हैं सम्मानित
मुंबई। अपने पांच दशक के कॅरियर में वहीदा रहमान ने कई दिग्गज कलाकारों से लेकर नवोदित कलाकारों के साथ काम किया। उनके अभिनव को हमेशा सराहना हासिल हुई। यही कारण है कि पांच दशक के कॅरियर में उन्होंने अपनी प्रतिभा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्हें पद्मश्री और पद्म भूषण से भी सम्मनित किया जा चुका है। 54 साल के इतिहास में अब तक यह अवॉर्ड सिर्फ 7 ही महिलाओं को दिया गया है। सबसे पहला दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड 1969 में एक्ट्रेस देविका रानी को दिया गया था। इसके बाद रूबी मेयर्स (सुलोचना), कानन देवी, दुर्गा खोटे, लता मंगेशकर और आशा भोंसले को इस अवॉर्ड से नवाजा गया।
पांच दशक का कॅरियर
अपने पांच दशक से अधिक की अभिनय यात्रा में पद्मश्री और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित वहीदा रहमान ने एक भारतीय नारी के समर्पण और सामर्थ्य का उदाहरण पेश किया है।
वहीदा ने कॅरियर में कई फिल्मों में किया अभिनय
वहीदा ने अपने अभिनय कॅरियर की शुरुआत तेलुगु फिल्म रोजुलु मारायी (1955) से की। उन्होंने प्यासा (1957), गाइड (1965), खामोशी (1969), फागुन (1973), कभी कभी (1976), चांदनी (1989), लम्हे (1991), रंग दे बसंती (2006) जैसी कई हिट फिल्मों में अभिनय किया है।
खुशी है कि वहीदा रहमान जी को दादा साहब फाल्के अवॉर्ड के लिए चुना गया है। भारतीय सिनेमा में उनके सफर ने अमिट छाप छोड़ी है। वह प्रतिभा, समर्पण और शालीनता की प्रतीक हैं। उनमें हमारी सिनेमाई विरासत की सबसे बड़ी खासियत है। उन्हें बधाई। - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
ऐसे वक्त में जब नारी शक्ति वंदन अधिनियम संसद से पारित किया गया है, तब वहीदा रहमान को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया जाना गर्व की बात है। उनको यह सम्मान दिया जाना वास्तव में हिंदी सिनेमा की महिलाओं के लिए एक ट्रिब्यूट सरीखा है। इसके लिए वहीदा जी को बहुत-बहुत बधाई। - अनुराग ठाकुर, केंद्रीय मंत्री