सीएम के निर्देश पर भी पशु चिकित्सकों का संविलियन अटका

सीएम के निर्देश पर भी पशु चिकित्सकों का संविलियन अटका

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के छह माह पहले निर्देश देने के बाद भी पशु चिकित्सकों का वन विभाग में संविलियन नहीं हो सका है। इसको लेकर फाइलें इधर से उधर भटक रहीं हैं। गजट नोटीफिकेशन के हुए भी दो दशक हो चुके हैं। वन्य प्राणी अभयारण्यों में बीमार या हादसों में घायल होने वाले वन्यप्राणियों के इलाज के लिए पशुपालन विभाग से 10 वेटरनरी डॉक्टरों को डेपुटेशन पर लिया गया है। यह डॉक्टर करीब दो दशक से नेशनल पार्क और अभयारण्यों में घायल और बीमार वन्यप्राणियों का इलाज करते आ रहे हैं। इन डॉक्टरों की अफ्रीका और इंग्लैंड में स्पेशल ट्रेनिंग तक करवाई जा चुकी है। इसी के चलते इन डॉक्टरों की कुशल सेवा के बदले वन विभाग में मर्ज किए जाने का प्रस्ताव तैयार हुआ। इसके बाद वन विभाग और पशुपालन विभाग में सालों तक पत्राचार और मंथन होता रहा, लेकिन फाइनल नहीं हो सका।

वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में उठा मुद्दा

पशु चिकित्सकों को वन विभाग में मर्ज किए जाने का मुद्दा करीब 6 माह पूर्व हुई वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में बोर्ड मेंबर अभिलाष खांडेकर ने उठाया था। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से कहा कि डॉक्टरों का संविलयन हो जाना चाहिए, जिस पर मुख्य सचिव ने कहा था कि प्रक्रिया कमोबेश पूरी हो चुकी है। बावजूद संविलयन संबंधी फाइल एक टेबल से दूसरी टेबल घूम रही है।

यह हैं प्रतीक्षारत डॉक्टर

  •  पेंच :डॉ. अखिलेश मिश्रा, पेंच
  • कान्हा: डॉ. संदीप अग्रवाल 
  • पन्ना : डॉ. संजीव गुप्ता 
  • बांधवगढ़ : डॉ. नितिन गुप्ता 
  • सतपुड़ा : डॉ. गुरुदत्त शमा 
  • मुकुंदपुर: डॉ. राजेश तोमर 
  • संजय सीधी : डॉ. अभय सेंगर
  • माधव पार्क : डॉ. जितेंद्र जाटव
  • कूनो श्योपुर: डॉ. ओंकार अंचल 
  • वन विहार : डॉ. अतुल गुप्ता

आदेश न होना आश्चर्यजनक

करीब 6 माह पूर्व वाइल्ड लाइफ बोर्ड की मीटिंग में सीएम ने डॉक्टरों को मर्ज करने कहा था, सीएस ने भी जल्द आदेश होने की बात की थी। बावजूद अभी तक आदेश नहीं होना आश्चर्यजनक है। अभिलाष खांडेकर, मेंबर, वाइल्ड लाइफ बोर्ड

एनओसी का इंतजार

पशु चिकित्सकों के वन विभाग में संविलयन का प्रस्ताव है। इसमें देरी इसलिए हो रही है कि पशुपालन विभाग की ओर से कमेंट्स और एनओसी नहीं मिले हैं। रमेश कुमार गुप्ता, पीसीसीएफ, वन