वर्किंग लाइफस्टाइल बदलने के साथ बढ़ रही वैरीकोस वैंस की बीमारी

वर्किंग लाइफस्टाइल बदलने के साथ बढ़ रही वैरीकोस वैंस की बीमारी

इंदौर। वर्किंग लाइफस्टाइल चेंज होने के कारण वैरीकोस वैंस बीमारी भी बढ़ रही है। पहले यह बीमारी कम लोगों में देखने को मिलती थी, लेकिन अब यह अधिकांश लोगों में देखने को मिल रही है।

यह है वजह

लोग दिनभर या तो दुकान और ऑफिस में बैठक काम करते हैं, वहीं पूरे दिन खड़े-खड़े काम करते हैं। दोनों ही स्थितियों में पांव की नसों में उचित रक्त संचालन नहीं होता। नतीजतन, पांव की नसों में सड़न पैदा होने लगती है। इससे कभी नसें फूल जाती हैं, तो कभी चमड़ी के बाहर उभरकर दिखने लगती हैं। कई बार इसमें दर्द काफी हद तक बढ़ जाता है कि ऑपरेशन ही एकमात्र उपाय होता है।

एमवाय अस्पताल में होती है नि:शुल्क सर्जरी

एमवाय अस्पताल में वैरीकोस वैंस का नि:शुल्क ऑपरेशन होता है। वहीं निजी अस्पतालों में इसका खर्च करीब डेढ़ लाख रुपए होता है। मप्र के अलावा कई अन्य शहरों से भी लोग इलाज करवाने आते हैं। पिछले दो वर्षों में एमवाय अस्पताल में 500 से अधिक मरीजों का लेजर उपचार किया जा चुका है। डॉ. अरविंद घनघौरिया ने बताया कि यह बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होती है। यदि इससे बचाव करना है तो वजन पर नियंत्रण रखना आवश्यक है।

ऐसे पहचानें बीमारी

विशेषज्ञों के मुताबिक वैरिकोस वेंस सूजी हुई, मुड़ी हुई ब्लड वेसेल्स होती हैं, जो त्वचा की सतह के ठीक नीचे उभर आती हैं। ये नीले या बैंगनी रंग की नसों का उभार आमतौर पर पैरों में दिखाई देते हैं। कई बार इनमें दर्द या खुजली भी होती है। समय के साथ ये समस्या बढ़ती जाती है और मकड़जाल का रूप लेने लगती है।

ऐसे करें बचाव

यदि दिनभर खड़े रहने का काम है तो एक घंटे बाद 10-15 मिनट तक बैठ जाएं। वजन बढ़ने के कारण यह बीमारी होती है, इसलिए वजन पर नियंत्रण रखें। पैरों का घाव समझकर सामान्य ना समझें, इसका सही उपचार करवाएं। धूम्रपान और शराब का सेवन न करें।

लक्षण - नसें सख्त हो जाती हैं, पैरों में जलन होना, पैरों में खुजली महसूस होती है, पैरों में भारीपन रहना, नसें गहरे रंग की हो जाती हैं, वैरिकोस वैंस के आसपास सूजन आ जाती है।