संक्रांति पर्व पर होने वाली पतंगबाजी में चाइना डोर का उपयोग प्रतिबंधित
इंदौर। मकर संक्रांति के दौरान होने वाली पतंगबाजी के दौरान चाइना डोर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। इससे इंसानों के साथ मासूम पक्षी भी सुरक्षित रहेंगे। इसके साथ वाटरप्रूफ पतंग के लिए तैयारी जोरों से चल रही है अधिकांश जगह इसकी खिमची तैयार की जा रही है। पतंगबाजी में चाइना डोर का इस्तेमाल करने से हर साल तमाम पक्षियों की जान चली जाती है, वहीं आम लोग इस धागे के शिकार हो दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। नवाचार के लिए प्रसिद्ध कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने जान-माल की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए इंदौर जिले में चाइना धागे के क्रयविक्र य, उसे रखने और पतंगबाजी में उपयोग करने पर 24 फरवरी तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।
यकीनन इससे इंसानों के साथ मासूम पक्षी भी सुरक्षित रहेंगे। चाइना डोर का तीखापन आकाश में उड़ने वाली पतंग को जरूर थामे रहता है, लेकिन इसकी चपेट में आने से कई बार मासूम पक्षियों की जान चली जाती है। वहीं तेज गति से चलने वाले वाहन चालक इस धागे से चोटिल हो जाते हैं। यही कारण है पतंगबाजी में चाइना डोर का उपयोग प्रतिबंधित है। हालांकि कस्टमर इसकी जुगाड़ कर लेते हैं।
कीमत रहेगी ज्यादा
इस बार पतंग की कीमत बीते साल की तुलना में थोड़ी अधिक है। हालांकि पारंपरिक चांदबाज, कानबाज, पट्टी, सितारा, कनकौआ जैसे तमाम नाम है। यह 10 रुपए नग से शुरू होकर 50 रुपए तक है। इसके साथ मीनार के नाम से व्हाइट धागा आता है। यह बड़ा मजबूत रहता है।
बच्चों की प्लास्टिक पतंग
कम माइक्रोन वाले प्लास्टिक से बीते सालों में बच्चों के लिए पतंग तैयार की जाने लगी है। यह दिखने में ताव की पतंग की तरह ही होती है। इसे बच्चे ही नहीं बड़े लोग भी विपरीत हवा में उड़ाते हैं।
वाटरप्रूफ जिलेटिन
सामान्यतया पतंग ताव से तैयार की जाती है। हालांकि बड़ी पतंग के लिए वाटरप्रूफ जिलेटिन का खूब इस्तेमाल किया जाता है। वहीं स्टाइलिश बड़ी पतंगें भी हैं, जो साइज के हिसाब से महंगी हैं।