ट्रॉमा सेंटर में बनेंगी दो मॉड्यूलर ओटी सीवर समस्या के लिए बनेगी डीपीआर

ट्रॉमा सेंटर में बनेंगी दो मॉड्यूलर ओटी सीवर समस्या के लिए बनेगी डीपीआर

ग्वालियर। जेएएच समूह के हॉस्पिटल में मरीजों के बेहतर उपचार के लिए ट्रॉमा सेंटर के पास दो मॉड्यूलर ओटी बनाई जाए, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। इसके निर्माण का कार्य लोक निर्माण विभाग के माध्यम से प्रारंभ कराया जाए। इसके साथ ही गजराराजा चिकित्सा समूह परिसर की सीवर समस्या के निदान के लिए नगर निगम के माध्यम से एक माह में डीपीआर तैयार करें। निगम द्वारा तैयार डीपीआर को अमृत योजना में स्वीकृत करने के लिए शासन स्तर को प्रस्ताव भेजा जाएगा। यह निर्देश बुधवार को संभागायुक्त दीपक सिंह ने कॉलेज प्रबंधन एवं अन्य विभाग के अधिकारियों की बैठक में दिए।

गौरतलब है कि एक दिन पहले ही प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने जीआरएमसी की सामान्य परिषद की बैठक ली थी, जिसमें प्रबंधन द्वारा कई समस्याओं को रखा था, इसी के बाद संभागायुक्त ने यह बैठक ली। उन्होंने यह भी निर्देशित किया है कि हजार बिस्तर एवं मेडिकल कॉलेज और जहां संभव हो वहां गजराराजा चिकित्सा समूह की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाए। इसके लिए संबंधित एजेंसी से संपर्क कर विस्तृत प्रस्ताव प्राप्त किया जाए।

प्राइवेट अस्पतालों की तरह दें उपचार

श्री सिंह ने निर्देश दिए कि जिस प्रकार निजी चिकित्सालयों में आने वाले मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलती हैं और उन्हें कहीं परेशान नहीं होना पड़ता है। वैसी ही व्यवस्था शासकीय चिकित्सालयों में भी हो। इसके लिए पेशेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम की व्यवस्था प्रारंभ की जाए। गजराराजा चिकित्सा समूह एवं हजार बिस्तर अस्पताल में इसे शीघ्र प्रारंभ करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इस व्यवस्था को लागू करने के साथ ही इसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाए, ताकि ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने में किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।

जेएएच में पांच दिनों से सीटी स्कैन की नहीं हो रही जांच

अंचल के सबसे पुराने अस्पताल समूह जेएएच के अस्पताल की वर्तमान स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस अस्पताल सीटी स्कैन जैसी जांच पांच दिनों से बंद पड़ी हुई हैं। जो मशीन खराब हुई थी उसको प्रबंधन इतने समय में ठीक तक नहीं करा पाया और अगले दो तीन दिनों तक यह जांच और बंद रह सकती है। दूसरी ओर मरीजों की परेशान का सिलसिला लगातार जारी है यह जांच है जो कि इमरजेंसी में कराई जाती है यानि की जिन मरीजों को जिसकी जरूरत होती है उनको सरकारी नहीं तो प्राइवेट में करानी ही है। प्राइवेट जांच केन्द्रों पर सरकारी से दोगुनी रेट में यह जांच होती है। हालांकि इस समस्या का हाल फिलहाल यह समाधान हो सकता है कि जिस प्रकार जिला अस्पताल से मरीज जेएएच में रेफर कर दिए जाते हैं उसी प्रकार अगर जेएएच के मरीज जिला अस्पताल में रेफर किए जा सकते हैं। इससे कम से कम मरीजों को बाहर प्राइवेट में जांच नहीं करानी पड़ेगी।