भारत को पहली बार दो ऑस्कर
लॉस एंजिल्स। ऑस्कर के इतिहास में पहली बार भारत ने दो अवॉर्ड जीते हैं। 95वें ऑस्कर समारोह में फिल्म आरआरआर के गाने ‘नाटू-नाटू’ को बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग का अवॉर्ड और ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ को बेस्ट शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म का ऑस्कर अवॉर्ड मिला है। ‘एवरीथिंग एवरीवेयर’ फिल्म ने सात कैटेगरी में अवॉर्ड जीते और सबसे सफल फिल्म बनीं। नाटू-नाटू को इससे पहले गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग का खिताब मिला था। ऑस्कर में आरआरआर के गीतकार चंद्रबोस और कंपोजर एमएम कीरावानी ने अवॉर्ड प्राप्त किया। द एलिफेंट व्हिस्परर्स की डायरेक्टर कार्तिकी गोंजाल्विस और प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने अवॉर्ड लिया।
भारत को कब-कब मिला ऑस्कर
- 1992 में फिल्ममेकर सत्यजीत रे को ‘ऑनरेरी लाइफटाइम अचीवमेंट’ का ऑस्कर ल्ल 1983 में फिल्म गांधी के लिए भानु अथैया को कॉस्ट्यूम डिजाइन के लिए गोल्डन ट्रॉफी
- 2008 में ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ को बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग और ‘बेस्ट साउंड मिक्सिंग’
- 2019 गुनीत मोंगा की ‘पीरियड : एंड ऑफ सेंटेंस’ को बेस्ट डाक्यूमेंट्री (शॉर्ट सब्जेक्ट)
असाधारण! नाटू नाटू की लोकप्रियता वैश्विक है। यह एक ऐसा गाना है, जिसे आने वाले सालों तक याद रखा जाएगा। आरआरआर और द एलिफेंट विस्परर्स की टीम को बधाई। - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
आज पूरा देश गर्व से भरा है। यह साबित करता है कि भारतीय संगीत और फिल्मों का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। - शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री
डीजे और इंश्योरेंस एजेंट रहीं गुनीत को दूसरी बार ऑस्कर
भोपाल बहुत कम लोग जानते हैं कि ऑस्कर अवॉर्ड जीतने वाली भारत की शॉर्ट फिल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ की प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने अपना बचपन भोपाल की गलियों में गुजारा है। वह लगभग हर साल भोपाल आती है। गुनीत का यह दूसरा ऑस्कर अवॉर्ड है। इससे पहले उनकी शॉर्ट सब्जेक्ट डॉक्यूमेंट्री ‘पीरियड : एंड ऑफ सेंटेंस’ को 2019 में ऑस्कर मिल चुका है। ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ को सिख एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन कंपनी ने प्रोड्यूस किया है। गुनीत की मां शादी के बाद दिल्ली चली गर्इं और वहीं गुनीत पली-बढ़ीं। लेकिन, 18 साल की आयु में उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया था। यह जानकारी उनके भोपाल में रहने वाले मामा कुलप्रीत गुलाटी ने दी। उन्होंने बताया कि गुनीत सेल्फ मेड वुमन है। उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया। डीजे और इश्योरेंस एजेंट तक रही। उन्होंने 16 साल की उम्र से छोटे-बड़े सभी तरह के काम करना शुरू किया, ताकि वे अपने पेरेंट्स की मदद कर सकें। उनकी मां ट्यूशन पढ़ाती थीं और बेटी को उन्होंने बचपन से ही आत्मनिर्भर बनने के गुण दिए। गुनीत मुंबई का रूख किया और फिल्म इंडस्ट्री की राह चुनी। अवॉर्ड पाने वाली उनकी डॉक्यूमेंट्री का निर्माण छह वर्षों में किया गया।