ट्रेंचिंग ग्राउंड फिर ले रहा पहाड़ का आकार, रोज जमा हो रहा इनर्ट वेस्ट
इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर के सामने एक बार फिर डंप कचरे को डिस्पोज करने की चुनौती खड़ी हो गई है। इंदौर पिछले 7 वर्षों से देश का सबसे स्वच्छ शहर होने के साथ ही कचरे को डिस्पोज और उसे रियूज करने के मामले में भी सबसे आगे है। इंदौर देश का एकमात्र शहर ऐसा है जिसने प्रतिदिन निकलने वाले गीले कचरे से सीएनजी गैस बनाकर कचरे को रिसाइकल करने की व्यवस्था कर ली, लेकिन अब इंदौर के सामने सबसे बड़ी चुनौती रिसाइकल वेस्ट को डिस्पोज करने की आ रही है।
इंदौर ने जिस ट्रेंचिंग ग्राउंड से कचरे का पहाड़ को खत्म कर नंबर-1 का तमगा हासिल किया था अब उसी जगह एक बार फिर पहाड़ आकार लेने लगा है। ये पहाड़ गीले कचरे से निकलने वाले वेस्ट का है। नगर निगम आयुक्त हर्षिका सिंह ने बताया कि इंदौर शहर वेस्ट रियूज, रिड्यूस और रिसायकल के क्षेत्र में सबसे आगे है। यही कारण है कि इंदौर शहर कचरे को अलग- अलग श्रेणियों में विभाजित कर उसके पुन: उपयोग की व्यवस्था कर रहा है।
इंदौर ने अब तक सूखे, गीले, कंस्ट्रक्शन, बायोमेडिकल, ई-वेस्ट ग्रीन वेस्ट सहित अन्य श्रेणियों में वेस्ट सेग्रीगेशन किया है। इंदौर नगर निगम ने गीले कचरे को रिसाइकल करने के लिए साल 2022 में बायो सीएनजी गैस प्लांट की शुरूआत की और इसके बाद से ही शहर से प्रतिदिन निकलने वाला 450 टन गीला कचरा सीएनजी गैस बनने के लिए उपयोग किया जा रहा है। इसको प्रधानमंत्री मोदी ने गोवर्धन प्लांट का नाम दिया है। इस प्लांट में गीले कचरे से सीएनजी गैस बनने के बाद 40 टन वेस्ट निकलता है, जो फिलहाल किसी काम में नहीं आ रहा है और इसको ट्रेंचिंग ग्राउंड पर ही जमा किया जा रहा है।
डिस्पोज करने के लिए विदेशों के अध्ययन
निगम आयुक्त हर्षिका सिंह ने बताया कि लगभग 1200 टन कचरा प्रति माह जेनरेट हो रहा है। इस कचरे को रोकने और डिस्पोज करने के लिए देश के अलग-अलग और विदेश में निकलने वाले इनर्ट वेस्ट डिस्पोजल का अध्ययन भी किया जा रहा है। हालांकि देश के किसी भी शहर में गीले-सूखे कचरे के पहाड़ को खत्म करने के लिए इंदौर की तरह काम नहीं किया गया है। इंदौर देश के सभी शहरों से आगे है और अब वेस्ट रिसायकल करने से बचे हुए कचरे को डिस्पोज करने पर काम कर रहा है।
15 माह में 13 लाख टन खत्म किया शहर का कचरा
2018 में इंदौर नगर निगम ने 13 लाख टन कचरे का पहाड़ ट्रेंचिंग ग्राउंड से बायोरेमेडीजेशन तकनीक के माध्यम से किया था, लगभग 15 माह तक इसके लिए काम किया गया और इंदौर देश का पहला ऐसा शहर बना जिसने अपने शहर से कचरा का पहाड़ पूरी तरह से हटा दिया। वर्तमान में ऐसी स्थिति दोबारा नहीं बने इसके लिए नगर निगम ने प्रयास तेज कर दिए हैं।