16.42 करोड़ के पीएचई घोटाले में कोषालय की मिलीभगत, भुगतान पर सवाल
ग्वालियर। भले ही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) में 16 करोड़ 42 लाख 13 हजार 33 के घोटाले को लेकर पुलिस में एफआईआर हो चुकी हो, लेकिन मामले में कोषालय द्वारा बिना कार्यपालन यंत्री के हस्ताक्षर हुए बिलों पर भुगतान, पेंशन के मामले अटका कर आपत्ति वाले बिल का तत्काल भुगतान करने व एक हेड का दूसरे हेड में भुगतान करने पर, आपत्ति वाले बिल भुगतान में पीएचई विभाग से पत्राचार न करने पर मिलीभगत की भूमिका रही है। यही कारण है कि कोषालय के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस मामले की जांच करने भोपाल से आई टीम पेन ड्राइव में डाटा ले जा चुकी है, जो दस्तावेजों के अध्ययन में जुट गई है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग के रोशनीघर स्थित खंड क्रमांक एक में साढ़े 16.42 करोड़ रुपए की घपलेबाजी सामने आने पर विभागीय अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज करवाई है, लेकिन अभी तक कोषालय की ओर से बिना कार्यपालन यंत्री के हस्ताक्षर, एक हेड से दूसरे हेड में राशि डालने वाले, ऑडिट की जिम्मेदारी होने के बाद भी गलत भुगतान पर आपत्ति न करने पर वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है। जबकि जांच टीम के सामने पीएचई विभाग द्वारा दस्तावेज न देने का हवाला देकर अपने यहां से ऑनलाइन बिल पास होने के लिए मिले दस्तावेजों को छिपाकर खुद की गलती को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि पीएचई बाबुओं व कोषालय के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी भुगतान हुए हैं। अब कोषालय के अधिकारी पाक-साफ दिखने के लिए उनको मिले बिल व भुगतान वाउचर नहीं दे रहे हैं, जो उनके ही पास हैं।
आपत्ति करने का काम था तो क्यों नहीं की
जानकारों की मानें तो कोषालय अधिकारियों को पीएचई भुगतान मामले में खामियों पर तत्काल भुगतान रोककर आपत्ति करना थी, लेकिन कोषालय अधिकारियों ने इसे वर्षों तक अनदेखा किया। साथ ही ओटीपी न आने के मामले में रिप्लाई न मिलने पर भी चुप्पी साधे रखी। जबकि उसे एक हेड से दूसरे हेड में भुगतान पर लिखित में स्पष्टीकरण के बाद ही भुगतान देना था, लेकिन कोषालय ने कोई आपत्ति नहीं की।
कोषालय ने एक ही दिन में दिए फर्जी भुगतान
मामले में मुख्य बात यह है कि फर्जी भुगतान के मामले में कोषालय के अधिकारियों द्वारा बिल मिलने वाले दिन ही भुगतान किए, जबकि पेंशन सहित अन्य मामलों को महीनों तक लटका कर रखा गया। वहीं हर साल विभागीय रिपोर्ट में कभी भी पीएचई के भुगतानों को लेकर कोई आपत्ति नहीं की गई। सूत्रों का कहना है कि हेड में बजट से ज्यादा राशि के भुगतान पर कोषालय ने सालों चुप्पी साधे रखी, जो सवालों के घेरे में है।
घोटाला : स्वास्थ्य कर्मचारी ने खाते में जमा किए 16 लाख
पीएचई विभाग में करोड़ों रुपए के घोटाले के बाद स्वास्थ्य विभाग में इसी प्रकार का घोटाला सामने आया है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी ने फर्म के खाते में राशि ट्रांसफर करने की जगह अपने खातों में लाखों रुपए ट्रांसफर कर लिए। इस मामले की शिकायत कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह से हो चुकी और वित्तीय अनियमितता करने वाले पर कार्रवाई किए जाने की मांग की गई है। शिकायतकर्ता वरिष्ठ कोषालय अधिकारी ने पत्र के माध्यम से शिकायत की है कि सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला ग्वालियर द्वारा अस्पताल में उपयोग की जाने वाली सामग्री के देयकों की राशि कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी शेखर नीरखे ने अपने खाता क्रमांक 10504770609 भारतीय स्टेट बैंक शाखा मुरार में भुगतान किया है। वित्तीय वर्ष 2020- 21 से 2022-23 तक कुल 1612715 रुपए का भुगतान अनाधिकृत रूप से श्री नीरखे के खाते में हुआ है। जिसकी वजह से शासन को आयकर, जीएसटी की हानि हुई है, साथ ही गंभीर वित्तीय अनियमितता करने वाले कर्मचारी पर कार्रवाई की जानी चाहिए।