सेना में ट्रांसजेंडर्स हो सकते हैं भर्ती, स्टडी ग्रुप करेगा विचार
अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों की सेना में हैं ट्रांसजेंडर्स
नई दिल्ली। दुनिया के कई देशों की सेना में ट्रांसजेंडर की भर्ती के बाद अब भारत में भी इसकी तैयारी शुरू होने वाली है। इसके लिए देश में एक स्टडी ग्रुप बनाया गया है, जो इससे जुड़े पहलुओं पर गौर करेगा। अब भारतीय सेना ट्रांसजेंडर्स को रिक्रूट करने पर विचार कर रही है। इसके लिए ट्रांसजेंडर्स पर्संस प्रोटेक्शन आॅफ राइट्स एक्ट 2019 का अध्ययन किया जा रहा है। यह एक्ट ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों, उनके कल्याण और अन्य संबंधित मामलों की सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से जनवरी 2020 में लागू किया गया था। सूत्रों के मुताबिक तीनों सेनाओं की ओर से बनाए गए जॉइंट स्टडी ग्रुप का नेतृत्व सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा महानिदेशालय के एक सीनियर अधिकारी कर रहे हैं। यह ग्रुप इस बात का अध्ययन करेगा कि कैसे डिफेंस सेक्टर में इनकी तैनाती की जा सकती है। बता दें, मौजूदा समय में कोई भी ट्रांसजेंडर व्यक्ति सशस्त्र बलों में कार्यरत नहीं है, कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर स्थायी समिति द्वारा 3 अगस्त को राज्यसभा में पेश एक रिपोर्ट में प्रस्तावित किया गया है कि गृह मंत्रालय (एमएचए) को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में ट्रांसजेंडर लोगों की भर्ती को सुविधाजनक बनाने के उपायों को लागू करते हुए आरक्षण लाभ बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।
कब-कब चर्चा में आए मामले
- भारतीय नौसेना ने 2017 में साबी टेक्निक का इस्तेमाल हो रहा है। गिरी, जिन्हें पहले मनीष कुमार गिरी के नाम से जाना जाता था, उन्हें बर्खास्त कर दिया था। उनकी बर्खास्तगी के समय, नौसेना ने एक बयान में कहा था, उन्होंने छुट्टी के दौरान एक प्राइवेट हॉस्पिटल में जेंडर रीएसाइनमेंट सर्जरी (लिंग परिवर्तन सर्जरी) करवाई थी। नतीजा, उन्हें प्रशासनिक रूप से सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
- 2020 में बीएसएफ, सीआरपीएफ और एसएसबी की तरफ से केंद्र सरकार के कहा गया था कि वे सहायक कमांडेंट के अधिकारी कैडर पद पर ट्रांसजेंडर्स को भर्ती करेंगे।
- साल 2015 में तमिलनाडु ने देश के पहले पुलिस आॅफिसर की नियुक्ति की गई।
ट्रेनिंग और पोस्टिंग में न मिलें रियायत
निदेशालय को कई तरह के सुझाव और विचार हासिल हुए, जिन पर अभी स्टडी की जा रही है। सुझावों के अनुसार अगर किन्नरों को सेना में एंट्री मिलती है तो ट्रेनिंग से लेकर सेलेक्शन तक उन्हें किसी तरह की राहत नहीं दी जाएगी। न ही अलग-अलग तरह की पोस्टिंग में कोई रियायत मिलेगी। सरकार अगर इस ओर कदम उठाती है तो कई चुनौतियां भी रहेंगी। एक आॅफिसर का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो इसे एक रोजगार के मौके के तौर पर नहीं देखा जा सकता। यहां पर कई चुनौतियां से जूझना होगा। जैसे- उनके रहने के लिए घर, टॉयलेट और वर्किंग पैटर्न।
सबसे पहली भर्ती नीदरलैंड में
फिलहाल, अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल समेत दुनिया के 19 देशों की सेना में ट्रांसजेंडर्स की भर्ती की जा रही है। सेना में पहली बार किन्नरों की भर्ती की शुरुआत 1974 में हुई। यह ऐसा करने वाला पहला देश बना। इसके बाद दुनिया के कई देशों ने सेना में किन्नरों को एंट्री दी गई। नीदरलैंड के बाद 1976 में स्वीडन ने, 1878 में डेनमार्क, 1979 में नॉर्वे और इसके बाद कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में भी यही चलन शुरू हुआ।