होटल-चाट के ठेलों से टमाटर की चटनी गायब
जबलपुर। शहर में भी टमाटर के दाम शतक पार कर चुके हैं। इससे मध्यम वर्ग ने खाने में खटाई के लिए वैकल्पिक उपयोग शुरू कर दिया है। वहीं होटलों और चाट के ठेलों तक से टमाटर की चटनी गायब हो गई है। उल्लेखनीय है कि शहर में टमाटर 120 रुपए किलो पर कुलाचें मार रहा है। ऐसे में सबसे पहले चाय-नाश्ता और चाट के ठेलों में मिलने वाली टमाटर की चटनी पूरी तरह से गायब हो गई है। कई सेंटरों में कैथे की चटनी का प्रयोग बढ़ गया है।
देवा मंगोड़े वाले ने की तौबा
जबलपुर में देवा मंगोड़े वाले के यहां गरम तेल की कढ़ाई में हाथ डालकर समोसे निकालने का नाम अपने आप में ख्यात है। यहां टमाटर की चटनी काफी टेस्टी मानी जाती है। दुकान संचालक अतुल जैन ने बताया कि उन्होंने टमाटर की चटनी बंद कर दी है। बदले में आम की चटनी, दही व मीठी चटनी उपभोक्ताओं को परोस रहे हैं।
आलू बुखारा से बनाई चटनी
अधारताल निवासी गृहणी सपना ब्यौहार ने बताया कि उन्होंने आलू बुखारा से चटनी बनाकर नई रेसिपी तैयार की है। सपना ने बताया कि आलू बुखारा 70-80 रुपए किलो है। धनिया मिर्च के साथ आलू बुखारा को मिक्स कर चटनी के स्वाद ने टमाटर की चटनी को फेल कर दिया है।
ऐसे बन रही ग्रेबी
मेडिकल के सामने मुस्कान भोजनालय के संचालक सलीम ने बताया कि उन्होंने सब्जी की ग्रेबी में टमाटर का उपयोग बंद कर दिया है। खट्टापन लाने के लिए टमाटर कैचप के साथ मूँगफली पीस कर दरदरी ग्रेबी तैयार कर रहे हैं। यह ग्रेबी अपेक्षाकृत टमाटर के सस्ती पड़ रही है।