इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा उठाने के लिए 30 तक दाखिल करें विवरण
इंदौर। करदाता को 30 नवंबर के बाद किसी पुरानी क्रेडिट को लेना मुश्किल होगा। एक बार इस स्टेटमेंट को दाखिल करने के बाद किसी प्रकार की गलती होने पर 31 दिसंबर तक इसमें तीन बार संशोधन किया जा सकता है। सीए शैलेंद्र पोरवाल के अनुसार इनपुट टैक्स क्रेडिट के संबंध में सरकार द्वारा 1 जनवरी 22 से नई धारा 16(2) के तहत एक नया फॉर्म 2ई उपलब्ध कराते हुए यह अनिवार्य कर दिया है कि करदाता इस फॉर्म में उपलब्ध क्रेडिट से अधिक क्रेडिट नहीं ले सकता। फॉर्म 2बी में उपलब्ध क्रेडिट यदि किन्ही प्रावधानों के कारण नहीं ली जा सकती हो तो उसे फॉर्म 3बी में लेकर रिवर्स करना होता है। यह रिवर्स की गई क्रेडिट भविष्य में प्रावधानों का पालन करके ली जा सकती है जिसे रिक्लेमेबल क्रेडिट कहा जाता हैं।
सरकार द्वारा ऐसे रिक्लेमेबल क्रेडिट को भी पोर्टल के माध्यम से नियंत्रित करने के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है। सीए अभय शर्मा के अनुसार जीएसटी के अंतर्गत कुछ प्रावधानों के कारण करदाता की फॉर्म 2बी में दिख रही क्रेडिट को लेने की पात्रता नही होती। ऐसी दशा में फॉर्म 3बी में उसकी क्रेडिट को लेकर उसी रिटर्न में उसे रिवर्स करना होता है। सीए टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं सीए इंदौर शाखा द्वारा उक्त सेमिनार का आयोजन किया गया। सीए पोरवाल ने बताया भविष्य में पात्रता होने पर वह क्रेडिट रिक्लेम की जा सकती है। इस प्रकार से रिवर्स की गई इनपुट टैक्स क्रेडिट जिसे वह भविष्य में क्लेम की जा सकती है, उसके लिए सरकार द्वारा अब एक स्टेटमेंट के माध्यम से पोर्टल पर कुछ जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है।