नगालैंड में अब तक कोई महिला नहीं बनी विधायक, अब 4 मैदान में
कोहिमा। नगालैंड में नयी विधानसभा के गठन के लिए सोमवार को मतदान होना है। ऐसे में सबकी निगाहें उन चार महिला उम्मीदवारों पर टिकी हैं, जो पूर्वोत्तर के इस राज्य में पहली महिला विधायक बनकर इतिहास रचने का प्रयास कर रही हैं। सामाजिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि एक ऐसे राज्य में जहां महिलाएं लगभग सभी सामाजिक मुद्दों पर नेतृत्व की भूमिका में हैं, वहां आज तक कोई महिला विधायक नहीं बन पाई है। नगालैंड में कुल 13,17,632 मतदाता हैं, जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 6,56,143 यानी 49.8 प्रतिशत है। राज्य के चुनावी मैदान में कुल 183 उम्मीदवार हैं, जिनमें से चार महिलाएं हैं।
यहां सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय हैं महिलाएं
इन चार महिला उम्मीदवारों में दीमापुर-3 सीट से नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) की हेखनी जाखलू, तेनिंग सीट पर कांग्रेस की रोजी थॉम्पसन, पश्चिमी अंगामी सीट पर एनडीपीपी की सलहौतुओनुओ और अतोइजू सीट से भारतीय जनता पार्टी की काहुली सेमा शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषक और लेखक सुशांत तालुकदार ने कहा, यह एक विरोधाभास है कि पूर्वोत्तर के अधिकांश राज्यों में महिलाएं सामाजिक मुद्दों पर नेतृत्व की भूमिका में हैं, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में उन्हें जगह नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा, नगालैंड में भी, वे सभी सामाजिक मुद्दों में सबसे आगे हैं, जैसे आμसपा-विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करना, उग्रवादी समूहों के साथ शांति वार्ता करना आदि। लेकिन उनके पास पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं है। साल 1977 में रानो मेसे शाजिÞया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के टिकट पर जीत हासिल कर लोकसभा सदस्य चुनी गई थीं। वह नगालैंड से संसद पहुंचने वाली पहली महिला थीं। उसके बाद, पिछले साल भाजपा ने नगालैंड से राज्यसभा सदस्य के रूप में एस. फांगनोन कोन्याक को नामित किया था, जिसके साथ ही नगालैंड से कोई दूसरी महिला संसद पहुंची। नगालैंड में लोकसभा और राज्यसभा की एक-एक सीट है, जबकि विधानसभा में सीटों की संख्या 60 है। सामाजिक कार्यकर्ता पोंगलेम कोन्याक महिला विधायक न बन पाने की वजह बताते हुए कहती हैं, परिवार का मुखिया तय करता है कि वे किसे वोट देंगे और इससे अन्य महिलाएं भी एकजुटता दिखाते हुए महिला उम्मीदवारों को वोट नहीं देतीं। महिला उम्मीदवारों के लिए आमतौर पर जन समर्थन की कमी है। उन्होंने कहा, हमें अभी तक राजनीतिक सफलता नहीं मिली है, लेकिन सामाजिक क्षेत्र में हम सक्रिय हैं।