दिगंबर जैन समाज के हजारों लोग बने शोभायात्रा के साक्षी

दिगंबर जैन समाज के हजारों लोग बने शोभायात्रा के साक्षी

इंदौर। इंदौर की धरा पर देश के सबसे बड़े व भव्य पंचकल्याणक महोत्सव की शुरुआत बुधवार को सुमतिधाम पर चर्याशिरोमणि विशुद्धसागरजी महाराज के सान्निध्य में हुई। सुबह के सत्र में सुमतिधाम घटस्थापना की भव्य शोभायात्रा व कलश यात्रा निकाली गई। इसमें सभी इंद्र-इंद्राणी बग्घियों पर सवार थे, वहीं बैंड-बाजों की स्वरलहरियों पर महिलाएं मंगल कलश हाथों में लिए चल रही थीं। घटस्थापना की निकली शोभायात्रा में राजकमल बैंड के साथ ही हाथी, घोड़े, ऊंट भी यात्रा के अग्र भाग में शामिल थे। वहीं ढोलक की थाप पर महिलाएं नाचते और मंगल गीत गाते हुए चल रही थीं।

पंचकल्याणक महामहोत्सव के आयोजक मनीष-सपना गोधा ने बताया कि 6 से 11 मार्च तक आयोजित होने वाले देश के सबसे बड़े पंचकल्याणक महोत्सव में सुबह 11 बजे आचार्य विशुद्धसागरजी महाराज के सान्निध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप कुमार जैन मधुर (मुंबई), सह-प्रतिष्ठाचार्य चंद्रकांत गुंडप्पा इंडी (कर्नाटक), पं. नितिन झांझरी (इंदौर), विधानाचार्य पीयूष प्रसून (सतना) एवं तरुण भैयाजी (इंदौर) के सान्निध्य में पाद प्रक्षालन, जिनवाणी भेंट, कलश पूजन, ध्वजारोहण की सभी विधियां संपन्न की गईं।

पंचकल्याणक महोत्सव के मुख्य लाभार्थी मनीष-सपना गोधा परिवार थे। ध्वजारोहण का लाभ बसंतीलालविज या डोसी, प्रफुल्ल-लता जैन, राजेंद्र-मंजू झांझरी, विजय-नीलम चौधरी, जिनेश-सुनीता बड़जात्या ने लिया तो वहीं पाद प्रक्षालन में रमेश कुमार-गुणमाला काला, अभिषेकश्रिषका एवं आशीष-स्वाति लाभार्थी थे। आचार्यश्री को जिनवाणी भेंट करने का सौभाग्य कमलेश-सोनाली पाटोदी, अरिन-अनवि (फरीदाबाद) को मिला। मंडप उद्घाटनकर्ता का लाभ महेंद्र-अजीत टोंग्या (भानपुरा), रतनलाल-महावीर प्रसाद झांझरी, अभिषेकआशी ष काला ने लिया।

यह थे महोत्सव के मुख्य पात्र

गांधीनगर के गोधा एस्टेट में होने वाले इस पंचकल्याणक महोत्सव के मुख्य पात्र मनीष-सपना गोधा (सौधर्म इंद्र), रमेश- गुणमाला काला हैदराबाद (माता-पिता), कमलेश-सोनाली पाटोदी फरीदाबाद (कुबेर), विनोद-सरोज गोधा (महायज्ञ नायक) एवं दिलीप-अर्चना गोधा (यज्ञ नायक) हैं। इसी के साथ ही महोत्सव में 5 हजार इंद्र-इंद्राणियों ने अपनी भागीदारी दर्ज की। इंद्र-इंद्राणियों को पूजन की सभी आवश्यक सामग्रियां भी महोत्सव समिति द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई थीं। संभवत: देश का यह पहला पंचकल्याणक महोत्सव होगा, जिसमें न तो किसी प्रकार का दान लिया गया है और न ही किसी प्रकार की बोलियां इस महोत्सव में बोली गई हैं।