इस बार 10 से 25 फीसदी तक महंगी हुई दीवाली पर खरीदी
जबलपुर। इस बार दीवाली पर महंगाई का खासा असर नजर आ रहा है। हाल ये है कि झालर, मिठाई, दीये, कील, बताशा तक के रेट्स में बड़ा अंतर आया है। हालांकि अभी बाजार में मंदी दिख रही है लेकिन धनतेरस के एक दिन पहले से मार्केट में चहल-पहल बढ़ जाएगी। छोटी सी जरूरी चीजों से लेकर पूजन में उपर्युक्त सामग्री में गत वर्ष की 10 से 25 प्रतिशत तक का अंतर देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि दीवाली पर मुख्य रूप से घरों की सजावट के लिए झालर का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं पूजन सामग्री में मिठाई की प्रमुख भूमिका है। इस वर्ष खोवे में जबर्दस्त तेजी बनी हुई है, यही कारण है कि स्वीट्स में 100 से 150 रुपए तक का अंतर स्पष्ट देखा जा रहा है।
हरतालिका से दाम स्थिर
खोवा मंडी में आदिनाथ स्टोर्स के थोक व्यापारी सलिल जैन ने बताया कि गत वर्ष मिठाई के खोवा के दाम 220 रुपए किलो तक रहे। इस वर्ष 260 रुपए किलो के दाम हरतालिका तीज से स्थिर बने हुए हैं। फिलहाल त्यौहारी सीजन पर मांग बढ़ने से दाम 280 से 300 रुपए तक बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है। वहीं खोवे से बनी मिठाई 450 से बढ़कर 650 रुपए किलो बढ़ी है। वहीं दाल महंगी होने से बेसन से बनी मिठाईयों में 15 फीसदी का अंतर आया है।
इस वर्ष तेल में राहत
निवाड़गंज में तेल के थोक व्यापारी राजेश केसरवानी ने बताया कि इस वर्ष तेल में राहत है। गत वर्ष जहां तुलसी गोल्ड 1 टीन 18सौ रुपए था, वहीं इस वर्ष 13सौ रुपए बना है। जबकि फार्च्युन तेल पिछले वर्ष 25सौ रुपए रहे, अभी थोक में 15सौ रुपए में मिल रहा है। फुटकर में 125 रुपए लीटर के पाउच मिल रहे हैं जो गत वर्ष 170- 175 रुपए लीटर तक पहुंच गए थे।
थोक में महंगी कील-बताशे
कील-बताशे के थोक व्यापारी नितिन गुप्ता ने बताया कि इस साल 10 प्रतिशत से ज्यादा का अंतर आया है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 5 हजार रुपए क्विंटल की कील 65सौ रुपए थोक रेट में है। वहीं 45सौ रुपए क्विंटल वाला बताशा इस साल 6 हजार रुपए तक पहुंच गया है। वहीं फुटकर में कील 80 रुपए किलो और बताशा 120 रुपए किलो मिल रहा है।
निर्माण सामग्री हुई महंगी
दीये और लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं बनाने वाले संजीव चक्रवर्ती ने बताया कि दीये बनाने में निर्माण सामग्री महंगी होने का साफ असर दिख रहा है। एक तरफ 35सौ रुपए ट्राली मिट्टी 5 हजार रुपए मिल रही है। वहीं लकड़ी और पैरा भी 10 फीसदी महंगा मिल रहा है। इस वजह से 80 रुपए सैकड़ा वाले देसी दीये इस वर्ष 100 से 120 रुपए सैकड़ा पर भी लागत निकलना मुश्किल है। वहीं कोलकाता और राजस्थान के मशीनों से बने दीयों का असर भी लोकल व्यापार पर पड़ा है।
झालर में चायना से तौबा
पिछले वर्ष की तरह इस साल भी व्यापारियों ने चायना झालरों से तौबा कर ली है। यह कहना है इलेक्ट्रॉनिक्स कारोबारी श्याम ठाकुर का। उन्होंने बताया कि देसी झालर 80 रुपए वाली लड़ इस साल 100 और 120 रुपए थोक में है। इस बार फैंसी झालर में 7 प्रकार के कलर वाली लाइट 5 मीटर 400 रुपए तक पहुंच गई है।