पहाड़ी पर बसते समय रोका नहीं गया और राजनीतिक हित देख बसाते गए नेता

पहाड़ी पर बसते समय रोका नहीं गया और राजनीतिक हित देख बसाते गए नेता

जबलपुर। ये रानी दुर्गावती वार्ड के अंतर्गत ऐसी बस्ती है जहां बीते कुछ ही दशकों में नजूल की जमीनों पर कब्जे ही कब्जे करवा दिए गए। छुई खदान,सूपाताल के आसपास की खाली जगहों पर अब पैर रखने की जगह तक नहीं है। राजनीतिक हितों के चलते सरकार की सैकड़ों एकड़ जमीनों पर कब्जे करवाकर सघन आबादी बसा दी गई है।यहां धर्म विशेष के लोग ज्यादा हैं। बसाहट बढ़ने के बाद इन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए भी काम हुए। सड़क पानी बिजली नाली जैसी सुविधाओं पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए। हालाकि कराए गए कामों में भ्रष्टाचार के चलते स्थाई राहत लोगों को नहीं मिली और आज भी छुई खदान बस्ती में ऊपर की ओर पाइप लाइन से पानी नहीं पहुंच पाता। यहां नालियों में भरी गंदगी और सड़कों की जर्जर हालत देखी जा सकती है।

मदनमहल पहाड़ी बचाने साढ़े 3 हजार मकान टूटे थे

गौरतलब है कि मनमानी बसाहट के चलते मदनमहल पहाड़ी का अस्तित्व की खतरे में आ गया था जिसके कारण यहां पर्यावरण बचाने हाईकोर्ट में लगी याचिका पर निर्णय लेते हुए यहां के करीब साढ़े 3 हजार मकान तोड़े गए थे,जो कि संभवतय प्रदेश के इतिहास में सबसे बड़ी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई रही।

अशिक्षा और गरीब वर्ग अधिक

इन इलाकों में बसने वाली आबादी ज्यादातर अल्प या अशिक्षित है और गरीब वर्ग है। चुनाव के समय इन्हें मामूली प्रलोभन से ही फुसला लिया जाता है,जिसके चलते ये नेताओं के लिए आसान टास्क होते हैं। छुई खदान पर सैकड़ों परिवार रह रहे हैं,जान पर खेल कर ऐसी-ऐसी जगह मकान बनालिए गए हैं जहां सामान्य लोग बसना तो दूर जाना भी पसंद नहीं करेंगे।

नजूल की सैकड़ों एकड़ जमीनों पर करवा दिए गए कब्जे

पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में कई पहाड़ियों व आसपास तालाबों की जमीनों पर भारी मात्रा में कब्जे करवाए गए हैं। इनमें छुटभैये गली- मोहल्ले छाप नेताओं ने अपने आकाओं की शह पर हजारों एकड़ सरकारी जमीन पर आबादी बसवा दी है। अब इन्हें नगर निगम को मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवानी पड़ रही हैं। इस तरह की स्थिति शारदा चौक,अन्ना मोहल्ला, शिमला हिल्स, गंगासागर, मुजावर मोहल्ला, छुई खदान, सूपाताल, कब्रिस्तान, दरगाह रोड, चौहानी, बाजनामठ आदि जगहों पर देखा जा सकता है।

निस्तार के पानी की व्यवस्था तालाब से हो जाती है,मकान ऊंचाई पर है पहाड़ी पर पीने के पानी की बरसों से दिक्कत है मगर इसे हल नहीं करवाया जा रहा है। मायाठाकुर,छुई खदान निवासी।