अतिबल को संविदा पर रखने का नहीं हुआ आदेश फिर कैसे कर रहे उपायुक्त के रूप में काम, उठ रहे सवाल
ग्वालियर। फरवरी 2024 में सेवानिवृत्त हो चुके अधीक्षण यंत्री, उपायुक्त अतिबल सिंह को नगर निगम ने अभी तक संविदा नियुक्ति नहीं दी है। लेकिन इसके बाद भी पूर्व उपायुक्त द्वारा बिना नियुक्ति पाए पद का दुरूपयोग कर कार्य करने व आदेश निकालने की जबरदस्त अनदेखी पर सवाल उठ रहे हैं। अहम बात यह है कि इस सेवानिवृत्त अधिकारी के मामले में सत्तापक्ष-विपक्षी निगम परिषद के सदस्यों व प्रशासनिक अमले ने पूरी तरह खामोशी साध रखी है।
नगर निगम सेवा में रहने के चलते डॉ. अतिबल सिंह यादव को नगर पालिका निगम में अधीक्षण यंत्री के रिक्त पद पर संविदा आधार पर एक वर्ष की नियुक्ति प्रदान करने के लिए 21 फरवरी को निगमायुक्त हर्ष सिंह के प्रस्ताव को मेयर डॉ. शोभा सिकरवार की अध्यक्षता वाली एमआईसी ने खारिज कर दिया था, लेकिन अतिबल सिंह यादव ने इसके चार दिन बाद पुन: एमआईसी की बैठक बुलाने का जलजला दिखाकर अपने प्रस्ताव पर स्वीकृति करवा ली थी और उसके तत्काल बाद नगरीय प्रशासन विभाग को प्रस्ताव जाने पर 5 मार्च को नगर निगम ग्वालियर को संविदा नियुक्ति पर रखने की अनुमति मिल गई थी। जिसमें एमआईसी को नियुक्ति प्राधिकारी बताया गया है, जिससे तय हो गया है कि पुन: एमआईसी अनुमोदन देगी।
आदेश निकालने पर निगम में मचा है हड़कंप
निगम अधिकारियों द्वारा सेवानिवृत्त हो चुके अतिबल सिंह यादव से पूर्व की भांति काम लेने का सिलसिला जारी है। यही कारण है कि उनके द्वारा सीएम डॉ. मोहन यादव के कार्यक्रम के प्रोटोकॉल में निगम अधिकारी लिखी नेमप्लेट वाले वाहन का उपयोग कर काफिले में शामिल हुए, तो 6 मार्च को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की सूची उपायुक्त के रूप में हस्ताक्षर कर जारी की गई है। जिससे सेवानिवृत्त अधिकारी से काम लेने की जबरदस्त खामी पर चुप्पी से हड़कंप मचा हुआ है।
निगम अधिकारियों की शिकायत की तैयारी
जानकारों का कहना है कि सेवानिवृत्त अतिबल स्ािंह यादव द्वारा संविदा नियुक्ति पाए बिना कार्य करने व पत्रों पर हस्ताक्षर करने के मामले में वरिष्ठ निगम अधिकारी शिकायतकर्ताओं के निशाने पर आ गए हैं। क्योंकि नियुक्ति के लिए अभी छानबीन समिति की रिपोर्ट तक नहीं मिली है और ऐसे में कार्य लेने पर लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू सहित अन्य जगह मामले को तूल देने की तैयारी है।
आचार संहिता लगी तो दो महीने लटक जाएगी नियुक्ति
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल द्वारा संविदा नियुक्ति आदेश में एमआईसी को नियुक्ति प्राधिकारी बताया गया है। जिससे नियुक्ति के पहले पुन: एमआईसी अनुमोदन देगी। तब निगमायुक्त द्वारा नियुक्ति आदेश निकाला जा सकेगा, लेकिन अब आचार संहिता 15 जनवरी तक लगना तय मानी जा रही है। ऐसे में एमआईसी की अनुमति न होने पर आचार संहिता के चलते बैठक आयोजित नहीं होगी और नियुक्ति आदेश दो महीने यानि आचार संहिता समाप्त होने तक लटक जाएगा।