जी-20 की बैठक में यूक्रेन को लेकर नहीं बनी सहमति
नई दिल्ली। जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में यूक्रेन युद्ध का मुद्दा छाया रहा और सदस्य देशों में कोई आम सहमति नहीं बन पाई। मेजबान देश भारत ने दिन भरी चली विदेश मंत्रियों की बैठक का संक्षेप में विवरण जारी किया। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने जी-20 देशों से अपील की कि वे मॉस्को पर युद्ध खत्म करने का दबाव बनाएं जिसने दुनिया को अस्थिर कर दिया है। रूस ने पटलवार करते हुए पश्चिमी देशों पर जी-20 के एजेंडे को तमाशा बनाने का आरोप लगाया और कहा कि पश्चिमी देश अपने आर्थिक विफलताओं को मॉस्को पर थोपना चाहते हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और आर्थिक स्थिरता के लिए हमें रूस को युद्ध खत्म करने और अपनी सेना को वापस बुलाने के लिए लगातार कहना होगा। ब्लिंकन ने कहा कि दुर्भाग्य से यूक्रेन के खिलाफ रूस के असंगत युद्ध के कारण इस मीटिंग में विघ्न पड़ा। ब्लिंकन की बात का जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड्स के विदेश मंत्रियों ने समर्थन किया। जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बाएरबॉक ने रूसी विदेश मंत्री लावरोव से कहा कि रूस को न्यू स्टार्ट समझौते पर वापस लौटना चाहिए और अमेरिका से बातचीत बहाल करनी चाहिए। रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने कहा कि पश्चिमी देश यूक्रेन से अनाज के निर्यात के समझौते को दबा रहे हैं। जी-20 में विकसित जी-7 देशों के अलावा रूस, चीन, भारत, ब्राजील, आस्ट्रेलिया और सऊदी अरब समेत कई अन्य देश शामिल हैं।
पीएम मोदी ने कहा - बांटने नहीं, जोड़ने पर ध्यान दें
जी-20 देशों की बैठक के मौके पर पीएम मोदी ने विदेश मंत्रियों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा, आज जब आप गांधी और बुद्ध की धरती पर मिल रहे हैं, तब मैं प्रार्थना करता हूं कि आप भारतीय सभ्यता से प्रेरणा लेते हुए बाँटने पर नहीं बल्कि एकता पर ध्यान केंद्रित करें। आज सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले लोगों को सुने बिना कोई संगठन वैश्विक नेतृत्व का दावा नहीं कर सकता। बीते सालों में हमने सदी की सबसे विनाशकारी महामारी का सामना किया। हजारों लोगों की मौत प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई। हमने आर्थिक चुनौतियों और संकट का सामना भी किया। जी-20 देशों ने इन मुद्दों से निपटने में अहम भूमिका अदा की। ऐसे में ये बैठक बेहद अहम है।