परीक्षा पर थी रोक, माफियाओं ने धड़ल्ले से दिए एडमिशन, छात्रों से मोटी रकम ऐंठी

परीक्षा पर थी रोक, माफियाओं ने धड़ल्ले से दिए एडमिशन, छात्रों से मोटी रकम ऐंठी

ग्वालियर। मरीजों की सेवा करने वाले नर्सिंग के पेशे को माफियाओं ने अंचल के साथ ही मध्यप्रदेश को पूरे देश में बदनाम कर दिया है। इन माफियाओं ने परीक्षाओं पर रोक के बाद भी हर साल लगातार एडमिशन कर न केवल छात्रों की साल बर्बाद की, बल्कि उनसे क्लासेस व प्रैक्टिकल के नाम पर लगातार वसूली कर मोटी रकम भी वसूली। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में बीएससी नर्सिंग के 492 कॉलेज हैं, उनमें से 130 कॉलेजों में पिछले चार वर्षों में लगातार धड़ल्ले से एडमिशन दिए गए हैं और अंचल के नर्सिंग माफियाओं ने इनसे क्लासेस, प्रैक्टिकल के साथ ही पेनाल्टी सहित विभिन्न माध्यमों से अच्छी खासी रकम वसूल की है, लेकिन 2019 से कोई भी परीक्षा नहीं हुई है, जबकि एडमिशन लगातार चलते रहे हैं।

ग्वालियर अंचल के बीएससी नर्सिंग की बात की जाए तो सेटिंग की दम पर 50 से 100 सीटों पर एक-एक कॉलेज में प्रवेश वर्ष 2023 तक दिए और इनसे शुल्क भी लिया, ऐसे में यह खेल लाखों नहीं बल्कि करोड़ोें रुपए का है, जिसकी वजह से हजारों छात्रों क कॅरियर बर्बाद हो गया है, क्योंकि परीक्षाएं नहीं होने की वजह से छात्र बीच मझधार में फंस चुके हैं। हालांकि हाईकोर्ट के आदेश पर अभी परीक्षाएं हो रही हैं, लेकिन इनमें भी नकल माफियाओं पर रोक नजर नहीं आ रही है।

दूसरे प्रदेश से आते हैं छात्र

नर्सिंग के छात्रों से डिग्री के नाम पर चल रहे इस गोरखधंधे में शामिल केवल माफिया एजेंट के माध्यम से मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि यह लोग दूसरे अन्य प्रदेश से भी छात्रों को यहां पर नकल व सेटिंग के माध्यम से डिग्री दिलाने का लालच देकर अपने जाल में फंसाते हैं। इस सब में इन छात्रों को लाने वाले एजेंटों का कमीशन भी फिक्स रहता है। यह साल की बीएससी नर्सिंग की फीस वैसे तो 50 हजार रुपए एनसीआई (नर्सिंग काउंसिल ऑफ इंडिया) के अनुसार है, लेकिन यह चार वर्ष की बीएससी के ढाई से तीन लाख रुपए एक छात्र से वसूलते हैं।

जागी नर्सिंग यूनिवर्सिटी, कई कॉलेज होंगे बंद

सीबीआई भोपाल के अधिकारियों का फर्जीवाड़ा के साथ इस रैकेट के खुलने के बाद मेडिकल यूनिवर्सिटी भी जाग गई है और उसमें एक आदेश जारी करते हुए सभी नर्सिंग कॉलेज फैकल्टी की जानकारी मांगी गई है। जिसमें फैकल्टी आईडी, नाम एवं डेजिग्नेशन एवं डिपार्टमेंट से लेकर यूजी एवं पीजी के एक्सपीरियंस की डिटेल मान्यता हासिल करने वाले कॉलेज को जबलपुर देनी होगी। अगर इस आदेश का पालन हुआ तो कई फर्जी कॉलेजों की दुकानदारी पर संकट आना तय है, क्योंकि एक ही फैकल्टी को कई कॉलेजों में शो किया जाता है। अब यूनिवर्सिटी फैकल्टी के आईडी नंबर से तुरंत मालूम चल जाएगा कि इस फैकल्टी का नाम कौन से कॉलेज में अंकित है।