दो महीने में किया व्यंग्य का नाट्य रूपांतरण, गीत संगीत और अदाकारी से जीवंत की सरकारी हकीकत
पिंक बर्ड सोशियो कल्चरल सोसायटी के तत्वावधान में शनिवार को नाटक ‘परसाई की बकरी’ का मंचन किया गया। इस नाटक में सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करती यह एक कहानी है। नाटक का नाट्य रूपांतरण निर्देशक कमलेश दुबे ने किया है। कमलेश ने बताया कि इस व्यंग्य का नाट्य रूपांतरण करने में उन्हें डेढ़-दो महीने लगे। नाटक में दो नए प्रयोग किए गए हैं, पहला नाटक के बीच में आठ गीत जोड़े गए हैं। दूसरा नाटक के सभी किरदारों ने एक जैसे कॉस्ट्यूम में अभिनय किया। कमलेश बताते हैं कि हरिशंकर परसाई ने सन् 1960 में यह व्यंग्य लिखा था। तब देश के प्रधानमंत्री नेहरू जी थे। नाटक में यह दिखाया गया है कि किस तरह एक भ्रष्टाचार रूपी बकरी हमारे विकास रूपी पौधे को हजम करती है। दर्शकों का कहना है कि यह नाटक देखकर यह समझ आया कि सरकारी तंत्र में शुरू से ही भ्रष्टाचार व्याप्त है, जो आज भी चला आ रहा है।
जांच करने के लिए गठित किया गया बकरी आयोग
नाटक की कहानी यह है कि एक नेता को विदेश से विकास का एक पौधा गिफ्ट में मिलता है। उस पौधे के संरक्षण के लिए कागजों में एक कर्मचारी को रखा जाता है, लेकिन कुछ दिनों बाद वह पौधा सूख जाता है। यह बात जब अफसरों को पता चलती है तो वह अपनी लापरवाही को छुपाने के लिए जनता के सामने एक नकली मुद्दा खड़ा करे देते हैं कि यह पौधा एक बकरी खा जाती है। इसके बाद एक बकरी आयोग गठित किया जाता है, जो इस मामले की जांच करता है। अंत में चांद उस्मानी को बीच में लाकर उसकी बकरी के सर पर आरोप मढ़कर सभी अधिकारी-कर्मचारी, नेता, मंत्री सब बरी हो जाते हैं।
दो साल से कर रहा थिएटर
मैं इस नाटक में बकरी आयोग का कर्मचारी बना हूं। व्यवस्थाओं में हुई लापरवाही को छुपाने के लिए एक नकली मुद्दा खड़ा करता हूं। मैं 2 साल से थिएटर कर रहा हूं। अब तक मैंने 10 नाटकों में अभिनय किया है। इस नाटक में पहली बार काम कर रहा हूं। -विभांशु खरे, कलाकार
ब्लाइंड गर्ल का किया किरदार
मैंने इस नाटक में दो किरदार किए हैं। एक किरदार ब्लाइंड गर्ल का है और दूसरा न्यूज एंकर का है। इस नाटक से पहले मैंने 15 नाटकों में काम किया है। ब्लाइंड गर्ल और न्यूज एंकर का किरदार मैंने पहली बार किया है। डेढ़ महीने इस नाटक की रिहर्सल की। -भारती साहू, कलाकार
रोजाना दो घंटे की प्रैक्टिस
इस नाटक में मेरा किरदार एक छोटे बच्चे का है। मैं सातवीं कक्षा का छात्र हूं। मुझे अभिनय करना अच्छा लगता है। इस नाटक के लिए मैंने रोजाना दो घंटे प्रैक्टिस की है। इसके अलावा मैं एक वेब सीरीज में भी काम कर चुका हूं। -अमृत माहेश्वरी, कलाकार
नाटक में दिखी सरकारी हकीकत
इस नाटक को देखकर यह समझ आया कि देश को भ्रष्टाचार किस तरह बर्बाद कर रहा है। सभी सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार व्याप्त है। कलाकारों ने बहुत अच्छा अभिनय किया। सरकारी विभागों के अफसर जनता को किस तरह गुमराह करते हैं। यह दिखाया गया। - समृद्धि असाटी, दर्शक