गमक में गमके सूफी और भक्त संगीत के सुर

गमक में गमके सूफी और भक्त संगीत के सुर

ग्वालियर। सूफी और भक्ति संगीत की एक अलग ही तासीर है। दरअसल सूफी संगीत सूफी संतों की पवित्र वाणियां हैं जो खुदा और वंदे के बीच एक रिश्ते को कायम करती है, एक ऐसा रिश्ता, जिसे रुहानी यानि आत्मिक कहा जाता है।भक्ति संगीत का भी ऐसा ही सिलसिला है। भक्ति और सूफियाना संगीत इस रिश्ते को जोड़ने का जरिया बनता है। सूफी संगीत वास्तव में सिद्ध प्रार्थना के रूप में गाया बजाया जाता है। विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह के अतर्गत शनिवार की शाम यहां हजीरा स्थित इंटक मैदान में आयोजित पूर्व रंग गमक की सभा में सूफी संगीत के सुर खूब महके। विख्यात सूफी एवं पार्श्व गायक ऋचा शर्मा ने जब सूफियाना कलाम के साथ सुर भरे तो प्यार, मोहब्बत, भाई चारे के फूल खिलते चले गए।

उन्होंने पंजाबी फोक के साथ फिल्मी पॉप संगीत का भी खूब तड़का लगाया। वास्तव में गमक की ये शाम निराली थी। सफेद रंग का लंबा कुर्ता, घुंगराले केश उस पर कानों में दमकते कुंडल पहने ऋचा शर्मा जब मंच पर गाते हुए अवतरित हुईं तो पाण्डाल में मौजूद तमाम रसिक श्रोता उनके स्वागत में उठकर खडे हो गए । तालियों की गडगड़ाहट से उनका अभिवादन किया। ऋचा जी ने भी हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन स्वीकार किया। ऋचा ने फिल्म ताल से नीं मैं समझ गई गीत से अपने गायन का आगाज किया। इसके बाद उन्होंने माई नेम इज खान फिल्म से सजदा करूं मैं तेरा सजदा दिन रैन करूं,गीत की रूहदारी से पेशकश दी।

इस बीच श्रोताओं से गुफ्तगू करते हुए कहा कि उन्हें पता ही नहीं था कि सूफी कोई गायकी भी होती है। बाद में पता चला कि जब ऊपर वाले से लगन लग जाए तो सूफी गायकी होती है। अगला गीत था -जिंदगी में कोई कभी न आए रब्बा आए तो फिर न जाए रब्बा की प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति में उनके साथ की बोर्ड पर उमंग दोषी, अजय सोनी, ड्रम पर जिग्नेश पटेल, बेस गिटार पर गोविन्द ग्वाली, गिटार पर समृद्ध मोहंता, परकुशन पर ऋषभ कथक, ढोलक पर नईम सैय्यद, तबले पर प्रशांत सोनग्राही ,बांसुरी पर पार्थ शंकर ने साथ दिया जबकि गायन में पारस ने सहयोग किया। शुरू में क्षेत्रीय सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह एस पी राजेश चंदेल और उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के निदेशक जयंत माधव भिसे ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री शेजवलकर ने कहा कि संगीत हो या दूसरी कलाएं वे हमे अच्छा इंसान बनाती हैं। पहले ग्वालियर में हरेक घर में कोई न कोई संगीत अवश्य सीखता है। उन्होंने कहा कि भले ही हम तानसेन न बन पाएं लेकिन अच्छे कानसेन जरूर बनें। उन्होंने कहा कि दुनिया की अगर कोई एक भाषा हो सकती है तो वह संगीत है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा की तानसेन समारोह का शताब्दी वर्ष और समारोह और ज्यादा भव्यता से मनेगा। कार्यक्रम का संचालन संस्कृति कर्मी अशोक आनंद ने किया।

तानसेन समारोह का शुभारंभ आज

ब्रह्मनाद के शीर्षस्थ गायक राजा मान सिंह महल की थीम पर बने मंच पर औपचारिक शुभारंभ आज होगा।

जगराता से शुरू हुआ था रिचा का सफर

सूफी और भजन गायिका रिचा शर्मा का सांस्कृतिक सफर जगराता से शुरू हुआ था। इसमें उन्हें सबसे पहले 11 रुपए दिए गए थे। वे कहती हैं कि यह हमारी पूजा है और हमने उस राशि को अपने पास सहेज कर रखे हुए हैं।