मराठा समाज की सोच खुद के विकास की नहीं बल्कि हिंद में स्वराज स्थापना की थी : सिंधिया

मराठा समाज की सोच खुद के विकास की नहीं बल्कि हिंद में स्वराज स्थापना की थी : सिंधिया

ग्वालियर। हम छत्रपति शिवाजी के सैनिक थे, जो एक आदेश पर सिर काट कर रख देते थे, इस देश में ऐसे सपूत हजारों सालों में पैदा होते हैं। उनकी सोच केवल मराठा समाज के विकास की नहीं, बल्कि हिन्द में स्वराज के स्थापना की सोच थी। हमारे मराठा समाज की सोच समाज की नहीं बल्कि विकास प्रगति में भारत माता के पूजा की सोच रही है। छत्रपति शिवाजी की सेना में महिला योद्धा भी थीं। यह बात केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मराठी भाषा में मराठा समाज के सम्मेलन (मराठी मेलावा) में कही। शनिवार को सर्व मराठी समाज ग्वालियर मराठा भाषी समाज का विशाल सम्मेलन मराठा बोर्डिंग में आयोजित हुआ। जिसमें केन्द्रीय मंत्री ने मराठा समाज व इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि मां भारती के सपूत हमेशा त्याग के लिए तैयार रहते हैं। बाल राजे को क्या प्रशिक्षण दिया कि विदेशी आक्रांत को घसीट कर बाहर निकाल दिया।

मुगल आए, पठान आए और मराठा योद्धाओं ने उनका जमकर सामना किया। नजीर के सामने दत्ता सिंधिया ने साफ कहा जब तक जिएंगे तब तक लड़ेंगे और हाथों में भगवा झंडा लेकर नजीर को मुंह तोड़ जवाब दिया था। कार्यक्रम में मंच पर चल रहे कूलर को बंद कराते हुए हास्य के अंदाज में उन्होंने कहा कि इसे बंद कर दो मेरी चंबल की चमड़ी है। उन्होंने मंच से शिवाजी व संभाजी महाराज के शौर्य का वर्णन किया । साथ ही बताया कि जिस शाहपुर जी ने नवीन संसद भवन का डिजाइन बनाया उन्हीं को महाराज माधव राव प्रथम ग्वालियर लेकर आए थे । जिन्होंने यहां पानी की लाइन बिछाने व बेहतरीन सड़कों का निर्माण कराया। मराठा बोर्डिंग की शुरूआत करवाकर अपनी दूरदर्शी सोच बताई थी।

उन्होंने विश्वास दिलाया कि आप सभी मेरे साथ आओ, हम सभी मिलकर पुराने ग्वालियर की सुंदरता वापस लाएंगे। इसी क्रम में मराठा समाज के अध्यक्ष बालराजे शिंदे ने समाज द्वारा जारी कार्यों, तो महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष नितिन बालिम्बे ने सिंधिया परिवार के इतिहास की जानकारी दी।