उत्कृष्टता की खोज प्रतिदिन जारी रहनी चाहिए :मलिमथ
ग्वालियर। जिस जमीन की नींव मजबूत न हो उस पर एक सुदृढ़ भवन नहीं बन सकता। उसी प्रकार जब तक एक नवीन विधि स्नातक छात्र विधि की समस्त आधारीय संकल्पनाओं एवं न्यायालयीन कार्यशैली का ज्ञान अपने वरिष्ठों से नहीं सीखता तब तक वह एक योग्य अधिवक्ता नहीं बन सकता। यह उद्गार मप्र उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति रवि मलिमथ ने राज्य न्यायिक अकादमी के तत्वावधान में उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर में नवीन अधिवक्तागणों के लिये आयोजित हुई विशेष कार्यशाला में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उत्कृष्टता की खोज प्रतिदिन जारी रहनी चाहिए।
शनिवार को उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर परिसर में स्थित क्षेत्रीय प्रशिक्षण केन्द्र में मध्यप्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा नवीन अधिवक्तागणों के लिये विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के प्रशासनिक न्यायाधिपति रोहित आर्या ने कहा कि सभी प्रतिभागी विभिन्न पृष्ठभूमियों से आए है। लेकिन इन सब में एक सामान्य बात यह है कि आप सब एक अधिवक्ता के रूप में यहां उपस्थित हुए हैं। इसलिए हमें पेशेवर सोच व पहचान बनाना है।
इस अवसर पर न्यायाधिपति आनंद पाठक ने बताया कि एक अभिभाषक को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक व आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़ होने की आवश्यकता है। कार्यशाला में लगभग 150 नवीन अभिभाषक शामिल हुए।