पब्लिक तो साइकिल चलाना चाहती है, पर कोई ठेका ही नहीं ले रहा

पब्लिक तो साइकिल चलाना चाहती है, पर कोई ठेका ही नहीं ले रहा

जबलपुर। शहर के नागरिक तो साइकिल शेयरिंग सिस्टम को अपनाना चाहते हैं,मगर इसका ठेका लेने ही कोई सामने नहीं आ रहा है। आम नागरिकों के स्वास्थ्य और वाहनों के ईंधन से बढ़ते प्रदूषण को लेकर स्मार्ट सिटी ने 2018 में शहर में पब्लिक साइकिल शेयरिंग सुविधा प्रारंभ की थी,जो चंद माह चलकर बंद भी हो गई थी। इसे पुन: प्रारंभ करने 4 साल से फिर ये कवायद जारी  रही और स्मार्ट सिटी प्रबंधन ने इसके लिए 3 बार टेंडर भी निकाले मगर इसके संचालन के लिए कोई एजेंसी सामने नहीं आ रही हैं। स्मार्ट सिटी ने नगर निगम की भूमि पर 45 साईकिल स्टैंड भी बनाए थे जिसमें 50 लाख रुपए खर्च हुए थे। इसमें 400 साइकिलें रखवाई गईं थीं।साइकिल चलवाने का काम पीपीपी मोड पर किया गया था जिसमें इस योजना को संचालित करने वाली कंपनी को शुरूआत में खासा फायदा हुआ मगर बाद में इस योजना ने दम तोड़ दिया और वर्तमान में सभी साईकिलें कबाड़ के रूप में नगर निगम में सड़ रही हैं।

दुर्दशा देख कोई नहीं आ रहा सामने

स्मार्ट सिटी पब्लिक साईकिल शेयरिंग के लिए तीन बार टेंडर जारी कर चुकी है मगर कोई भी कंपनी पिछली बार से सबक लेकर आगे ही नहीं आ रही है। अधिकारियों का मानना है कि कोरोना संक्रमण में सार्वजनिक परिवहन से लोगों की दूरी और फेफड़ों को मजबूत बनाए रखने के लिए साईकिलिंग का ये प्रोजेक्ट कारगर साबित हो सकता है। इसलिए एक बार फिर साईकिल चलवाने की डिमांड आ रही हैं। जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि ने भी स्मार्ट सिटी से 20 साईकिलें चलाने का अनुबंध किया था।