जो अपनों से जीता वही बनेगा विजेता, भितरघात करेगा असर

जो अपनों से जीता वही बनेगा विजेता, भितरघात करेगा असर

जबलपुर। अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों में प्रमुख दल भाजपा व कांग्रेस ने अपनी सभी सीटों से प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। अब चुनाव में जीत हासिल करना दोनों दलों के प्रत्याशियों के लिए बड़ी चु नौती बना हुआ है। जिले की तीन विधानसभा सीटें जिसमें पूर्व,बरगी और पाटन सीट ऐसी हैं जहां ज्यादा विरोध सामने नहीं है। यहां दोनों दलों के प्रत्याशी विरोध का सामना नहीं क र रहे हैं मगर बा की की 5 सीटों में जबर्दस्त विरोध सामने आ रहा है।

इन पांच सीटों में जबलपुर उत्तर-मध्य, पश्चिम, केंट, पनागर, सिहोरा शामिल हैं। यहां पर यदि कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध नहीं है तो भाजपा के प्रत्याशी अपनों के विरोध का सामना कर रहे हैं। जिनकी सीटें पहले घोषित हो चुकी हैं वे तो बेहद परेशान हैं और उनका आधा समय असंतुष्टों के हाथ-पांव जोड़ने में जा रहा है। अब नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है और जिस तरह से हर विधानसभा से बागी होकर इन दलों के लोग नामांकन फार्म ले रहे हैं उसे देख प्रत्याशियों की सांसें अटकी हुई हैं। जाहिर है कि बागी प्रत्याशियों को पार्टी स्तर से वरिष्ठ नेता समझाईश भी देंगे और उन्हें सरकार बनने पर एडजस्ट करने का आश्वासन भी दिया जाएगा,मगर इसका कितना असर होगा ये समय ही बताएगा।

ये पार्टियां भी तैयार चुनावी मैदान मे उतरने

आम आदमी पार्टी,एआईआईएम, बहुजन समाज पार्टी,जनता दल युवा मोर्चा,समाजवादी पार्टी,इंडियन पीपुल्स अधिकार पार्टी सहित सैकड़ों की संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में ताल ठोकने के लिए तैयार बैठे हैं जिनमें से कुछ ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं और कुछ जल्द अपने प्रत्याशी घोषित करने वाले हैं। भाजपा और कांग्रेस के टिकट वितरण से असंतुष्ट नेता भी निर्दलीय या अन्य दलों से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। यही दोनो प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के लिए चिंता का विषय बनेंगे।

2 नवंबर को स्थिति होगी क्लीयर

नामांकन की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है। इसके बाद 31 अक्टूबर को नामांकन की सुरक्षा निधि की तारीख है। इसके बाद 2 नवंबर को नाम वापस लेने की अंतिम तारीख है। इसी दिन चुनावी पिक्चर क्लीयर हो जाएगी कि चु नावी मैदान में कितने खिलाड़ी शेष हैं। इस बीच जो असंतुष्ट मान जाएंगे वे चुनावी मैदानसे हट जाएंगे पर जो नहीं मानेंगे उन पर पार्टियां निष्काशन की कार्रवाई करेंगी। इनमें से जो निर्दलीय या अन्य दलों से चुनाव मैदान में रहेंगे वे दोनों दलों के प्रत्याशियों को कितना नुकसान पहुंचाएंगे ये रिजल्ट बताएगा।