प्रदूषण के कारण याददाश्त कम होने वाले मरीजों की संख्या में हो रही वृद्धि

प्रदूषण के कारण याददाश्त कम होने वाले मरीजों की संख्या में हो रही वृद्धि

इंदौर। आज हमारा पर्यावरण संकट में है, जिसे बचाने के लिए हम सभी को आगे बढ़ने की आवश्यकता है। यदि हमने इस पर ध्यान नहीं दिया तो जीव-जंतु जीवित नहीं रहेंगे। प्रदूषण अब काफी बढ़ गया है, जिसके कारण कई प्रकार की बीमारियां भी अब होने लगी हैं, क्योंकि तापमान बढ़ने लगा है। इसमें मनोरोग से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ने लगा है। लोगों को प्रदूषण के कारण अवसाद, अनिद्रा, याददाश्त कम होना आदि समस्या बढ़ने लगी है। इसके अलावा हृदय और श्वसन से जुड़े रोग भी हो रहे हैं, जिसे लेकर सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। शनिवार को इंडियन साइकेट्री, एन्वायरमेंट एंड साइकेट्री द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस में ये बात डॉ. रामगुलाम राजदान ने कही। स्पेशल सेक्शन और मालवांचल विश्वविद्यालय के साइकेट्री विभाग द्वारा पर्यावरण संकट का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस हुई।

मुख्य अतिथि इंडियन साइकेट्री सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार ने बताया कि हमें ध्यान रखना है कि प्रदूषण ना हो, क्योंकि इसका लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि वातावरण में अब काफी बदलाव होने लगा है, जिससे तापमान भी बढ़ने लगा है। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया तो समस्या बढ़ती जाएगी। पर्यावरणाविद् जनक पलटा ने कहा कि हमें खाना बनाने के लिए सोलर सिस्टम का उपयोग करना चाहिए। यह हमें प्रदूषण से बचा सकता है। इस दौरान इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन सुरेशसिंह भदौरिया, डॉ. अनिल भंडारी, डॉ. मीना चंद्रा, डॉ. सुधीर मौर्य आदि मौजूद रहे।

आज मांडव में कॉन्फ्रेंस

आयोजक डॉ. राजदान ने बताया कि रविवार को मांडव में कॉन्फ्रेंस आयोजित होगी। मांडव में पहला मानसिक चिकित्सालय बना था। इसके साथ ही पर्यावरण की चर्चा एक ऐसी जगह होगी, जहां प्रदूषण नहीं है, ताकि लोग वहां बैठे महसूस करें कि पर्यावरण क्या होता है। इस पर विशेषज्ञ विचार-विमर्श करेंगे।