बीते सालों में सीख कर ट्रेंड हुई झुग्गीझो पड़ियों की मातृशक्ति कर रही कमाई

बीते सालों में सीख कर ट्रेंड हुई झुग्गीझो पड़ियों की मातृशक्ति कर रही कमाई

इंदौर। बस्ती में रहने वाले मीना ढाके, खुशी, मोनू, स्वीटी,पिंकी के लिए राखी बनाना सीखना फायदे का सौदा रहा। खुशी बताती हैं कि हर साल आठ हजार से अधिक कमा लेती हैं। दीदियों ने राखी बनाना सिखाया, फिर बनाने की सामग्री लाकर दी, हमने बनाकर दिया, लागत निकाल देने के बाद यह मिला। अब तो बहन की बेटी को भी बुला लिया है। बुधवार से वह भी सीख रही है। आज-कल में वह कमाने भी लगेगी।

सामान्यतया कोई पर्व आता है तो झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को दिक्कत होती है। पैसा पास नहीं... त्योहार कैसे मनाएं। बीते तीन साल से बस्ती की मातृशक्ति रक्षाबंधन पर राखी, दीपावली पर आर्टिफिशियल दीये, वंदनवार तो होली पर प्राकृतिक कलर बनाकर पैसा कमाने लगी हैं। इस नेक काम को मूर्तरूप दे रही है अद्भुत कम्युनिटी की दो बेटियां परिधि राठौर एवं दीपिका बारोलिया। वे बीते सालों से नियमित तौर पर लक्ष्मीबाई अनाज मंडी के पास स्थित गरीब बस्तियों में जाती हैं।

तैयारी तीन महीने पहले से

हर त्योहार के तीन महीने पहले से तैयारी शुरू हो जाती है। परिधि के अनुसार शुरुआत दो हजार रुपए के कच्चे माल से की थी। पहले बेटियां आती ही नहीं थीं, धीरे-धीरे आई, सीखा... और जब ज्यादा बनाने पर पैसा मिला तो फिर खुद आने लगीं। इस बार तो हम लोग करीब 30 हजार रुपए का कच्चा माल इन्हें देंगे, जो इनकी कमाई का माध्यम साबित होगा। सामान्यतया राखी बनाना सीखने में दो से तीन दिन लगते हैं। कई मातृशक्ति जो सीखती हैं, उसमें हाथ रफा करती हैं, तो कई नई डिजाइन पर भी वर्क करने लगती हैं। आज की स्थिति में बस्ती की बच्चियां एवं परिवार कब से प्रशिक्षण शुरू होगा, इसका इंतजार बेसब्री से करती हैं।

20 दिन में पांच हजार कमाए

राखी बनाना सीखकर कमाई करने वाली रीना शिन्दे के अनुसार दो साल पहले सीखा था, अब तो वह औरों को भी सिखाने लगी है। घर बैठे राखी बनाओ, बेचने की भी टेंशन नहीं। दीदी लोग घर आकर पैसा दे जाती हैं। 20 दिन हुए राखी से पांच हजार कमा चुकी हैं।

टेडीबियर राखी में समय कम

काजल बताती हैं कि मोती पिरोने वाली राखी बनाने में ज्यादा टाइम लगता है, जबकि टेडीबियर व बच्चों के कार्टून कैरेक्टर वाली राखियां जल्दी बन जाती हैं। भाई- बहन वाली जोड़ा राखी में कशीदाकारी रहती है। इसे तीन से चार स्तर पर तैयार करते हैं, ज्यादा टाइम लगता है।

कैसे चलता है काम

राखी विक्रय से होने वाली कमाई को बस्ती की बच्चियों व महिलाओं को उनके कार्य के अनुसार वितरण किया जाता है। संस्था के सिद्धार्थ शर्मा के अनुसार राखी बनाना सिखाने के लिए किसी भी क्षेत्र में वर्कशॉप लगाना हो तो हमारी टीम फ्री सेवा ही नहीं देती, बल्कि उनकी कमाई के लिए उन्हें जरूरत के अनुरूप कच्चा माल भी उपलब्ध कराती है ताकि सीखो और कमाओ को मूर्तरूप मिले।