मिल में आकर वारिस पता लगा रहे कौन लेगा पैसा!
इंदौर। हुकमचंद मिल के दिवंगत वर्करों के वारिसों ने मिल पर आवाजाही शुरू कर दी है। वजह है जल्द ही फार्म भराए जाएंगे। एक मामला ऐसा भी आया, जिसमें बेटी को शिकायत है कि मौत तक में नहीं आने वाला स्वार्थी बेटा अब क्यों आया? वह खुद को वारिस बताना चाहता है। हालांकि वह विवाद से बचना चाहती है। कारण यदि कोर्टबाजी की तो फिर सालों पैसे का इंतजार करना पड़ेगा इससे सुलह ज्यादा अच्छी है। हुकमचंद मिल के वर्करों को 32 साल के इंतजार के बाद अब पैसा मिल रहा है।
परेशानी उन परिवारजनों की है, जहां वर्कर का निधन हो चुका है, धर्मपत्नी भी जीवित नहीं है और दो-तीन बेटा- बेटी यानी वारिस हैं। जहां एका है वहां तो कोई बात नहीं लेकिन ऐसे भी परिवार है जहां पैसा कौन लेगा को लेकर नाराजगी है। पिताजी बीमार पड़े, बुलाया पर नहीं आए। निधन हो गया तब भाई को छुट्टी नहीं मिल पाई लेकिन अब जब पिता की मिल का पैसा मिलना है तो हमारी याद आ गई। करें सब कुछ हम और फायदा ले कोई और... बर्दाश्त नहीं होगा।
यह कोई फिल्मी कथानक नहीं है बल्कि हुकमचंद मिल परिसर में पैसों की जानकारी लेने आई महिला उर्मिला का है। उर्मिला ने बताया कि जरूरत के समय भाई ने कभी बाबूजी को पूछा तक नहीं और अब वारिस बनकर पैसा हथियाना चाहता है। हम ऐसा नहीं होने देंगे। अम्मा थी तब भी नहीं आए। पांच साल बाद कैसे याद आ गई। दूसरे मामले में तीन बहनों का भाई है जहां बहनों ने स्वमेव यह लिखकर दिया कि हमें कोई ऑब्जेक्शन नहीं है, इन्हें भुगतान किया जाए। वहीं एक प्रकरण में बहू और बेटी दोनों ही पैसा चाहती है, इसके लिए वह सहमत है। उन्हें लगता है यदि पैसों को लेकर विवाद करेंगी तो कुछ भी हासिल नहीं होगा। फार्म जमा के पूर्व वह आई एम एग्री का लेटर देंगी।