बेरहम दिल बेटी छोड़ गई भगवान भरोसे, अंतत: तोड़ा मां ने दम

बेरहम दिल बेटी छोड़ गई भगवान भरोसे, अंतत: तोड़ा मां ने दम

जबलपुर।  कहते हैं बेटियां मां-पिता के अंतिम समय तक सहारा बनती हैं,मगर ये एक ऐसी बेटी की कहानी है जिसे बेरहम बेटी कहा जा सकता है,इस बेटी ने अपनी बीमार मां को त्यागते हुए कहा कि चाहे ये मर जाए मुझे इससे कोई रिश्ता नहीं रखना,और ऐसे में सरकारी व्यवस्थाओं ने भी उस पर दोहरी मार करते हुए मेडिकल अस्पताल प्रबंधन ने उसे यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया कि अब घर ले जाकर सेवा करो। महिला का एक मुंहबोला भाई जो रिक्शा चलाता था, ने उसका साथ अंतिम समय तक दिया,आखिरकार मानस भवन के बगल में स्थित खेरमाई मंदिर के सामने के फुटपाथ पर उसने बुधवार की शाम 6 बजे सिसक-सिसक कर दम तोड़ दिया।

यह कहानी है 36 वर्षीय शीलू बाई ठाकुर की। उसका अपना घर द्वार सगड़ा बस्ती में था जिसे बेटी खुशी ने बेच दिया और किसी के साथ लिव इन में रहने लगी। शीलू का पति गजराज ठाकुर 3 साल पहले ही बीमारी से जिंदगी हार चुका था। उसका मुंहबोला भाई प्रेम चंद गुप्ता जो रीवा का रहने वाला है और रिक्शा चलाकर अपना गुजारा करता था ने उसका साथ अंतिम समय तक दिया मगर उसके पास पैसे नहीं थे जिससे वह वांछित मदद नहीं कर पाया। ऐसे में इनका साथ दिया गरीब नवाज कमेटी के इनायत अली ने। इनायत विगत 3 दिनों से दोनों के खाने की व्यवस्था करते रहे। हालाकि महिला ने खाना-पीना छोड़ रखा था।

महापौर ने लिया संज्ञान

पीपुल्स संवाददाता ने मौके पर जाकर इस महिला और उसके मुंहबोले भाई की स्थिति देखी तो महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू को फोन लगाया जिन्होंने तत्काल संज्ञान लिया मगर महिला तब तक दम तोड़ चुकी थी,इसलिए वे भी कुछ नहीं कर पाए।

सुबह होगा अंतिम संस्कार

इनायत ने बताया कि वे मुंहबोले भाई प्रेम को वे फुटपाथ पर ही शव के साथ रुकने और उसके खाने की व्यवस्था कर आ गए हैं और सुबह महिला का दाह संस्कार करवाएंगे। रात भर शव मानस भवन के फुटपाथ पर रहा और उसका भाई साथ में रहा।