गांवों में शुरू हुआ बिजली कटौती का खेल, अघोषित कटौती भी की जा रही

गांवों में शुरू हुआ बिजली कटौती का खेल, अघोषित कटौती भी की जा रही

जबलपुर। किसानों को सिंचाई के लिए गांवों में 10 घंटे विद्युत आपूर्ति का प्लान तैयार किया गया है। इसके बाद भी बिजली कटौती का खेल शुरू हो गया है। किसानों की मानें तो उन्हें दिन में 3 घंटे और रात में 7 घंटे बिजली मिलना चाहिए। इसके विपरीत कभी सुबह तो कभी शाम को आधे से एक घंटे कम बिजली मिल रही है। सरप्लस बिजली होने के बाद भी गांवों को सिर्फ 7-8 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। बाकी समय किसानों को पॉवर कट का सामना करना पड़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि गांवों में गेहूं के लिए अभी 2 सीजन की सिंचाई जरूरी है। वहीं मूंग और उड़द की बोवनी हो चुकी है। अंकुरण के पहले खेतों में पर्याप्त सिंचाई होना चाहिए। वहीं दर्जनों गांवों में किसान बिजली संकट से जूझ रहे हैं। जिले में ग्रामीण क्षेत्रों के 12 सौ से अधिक ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं। अधिकांश ट्रांसफार्मर बिगड़े हैं। इन्हें बदलवाने की मांग करते-करते किसान थक चुके हैं। बिजली कटौती का संकट झेल रहे ग्रामीण किसानों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। इस संबंध में भारत कृषक समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केके अग्रवाल का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत प्रदाय की स्थिति अत्यन्त खराब हो गई है। लोड शेडिंग के कारण विद्युत सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। वहीं किसानों को रात 10 बजे या आधी रात के बाद बिजली मिलती है। ऐसे में रात में खेतों में सिंचाई करना संभव नहीं है। वहीं 25सौ केवी के ट्रांसफार्मरों की जगह 40सौ केवी के ट्रांसफार्मर लगाने आवेदन दिए गए लेकिन कम वोल्टेज से लोड शेडिंग की समस्या बनी है।

दोयम दर्जे जैसा व्यवहार

विद्युत अमले द्वारा ग्रामीणों के साथ दोयम दर्जे का समझना आम बात है। क्षेत्रीय स्तर पर किसानों के विरोध का कोई असर नहीं हो रहा है। बिजली न होने से किसानों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।