बिल के 80 हजार नहीं चुकाने से 24 घंटे तक शव का इंतजार करते रहे परिजन
इंदौर। बापट चौराहा स्थित मेडिप्लस हॉस्पिटल इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। कुछ दिन पूर्व की इंजेक्शन के ओवरडोज के चलते डेढ़ वर्षीय बच्ची की मौत का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि शुक्रवार को फिर एक दलित मजदूर के शव को अस्पताल प्रबंधक ने बंधक बनाकर रख लिया था। परिजन का आरोप है कि इलाज की बची हुई राशि 80 हजार नहीं देने के कारण अस्पताल शव नहीं दे रहा है।
यह है मामला- ग्राम हरसोला निवासी 60 वर्षीय देवकरण बागरी के बेटे पंकज ने बताया कि वह गार्ड की नौकरी करता है। 26 अगस्त की सुबह ड्यूटी के दौरान पिता को सांप के काट लिया था। सूचना मिलने पर परिजन ने महू के मेवाड़ा अस्पताल में भर्ती कराया था। हालत बिगड़ते देख परिजन 27 अगस्त को मेडिप्लस अस्पताल लेकर आ गए। यहां उनका उपचार चल रहा था। 31 अगस्त को उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।
चार घंटे प्रदर्शन के बाद सौंपा शव
महासंघ अध्यक्ष ने वहां के डॉक्टरों से चर्चा की, लेकिन प्रबंधक नहीं माना। इसके बाद अध्यक्ष व संघ के सदस्यों ने चार घंटे तक गेट के बाहर प्रदर्शन कर नारेबाजी की। संघ कार्यकर्ता सागर चौकसे के समझाने पर प्रबंधन बिना पैसों के शव देने को राजी हो गया।
अस्पताल में शव के बदले की राशि की मांग
पंकज का आरोप है कि चार दिन में 80 हजार रुपए अस्पताल में जमा कराए गए थे। मौत के बाद शव लेने पहुंचे तो परिजन को प्रबंधक ने यह कहकर लौटा दिया कि शेष राशि 80 हजार जमा कराएं। आर्थिक रूप से कमजोर परिजन ने राशि जमा करने में असमर्थता जताते हुए शव देने की बात कही, लेकिन अस्पताल प्रबंधक ने नहीं सुनी। मामले की जानकारी पीड़ित परिवार ने अखिल भारतीय बलाई महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज परमार को दी।