‘व्यक्ति की सफलता का आधार उसकी विनम्रता होती है’
ग्वालियर। दीक्षांत समारोह का आयोजन कठिन साधना से प्राप्त न्याय और संस्कारों को समाज में प्रसारित करने के संकल्प होने का मौका है। भारतीय ज्ञान परंपरा में सारी दुनिया को एक परिवार माना है। वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा का आशय है कि प्रगति पथ पर असमर्थ और वंचित और पिछड़े समुदाय के व्यक्तियों का हाथ पकड़कर उन्हें विकास की मुख्यधारा में साथ लेकर चलें। व्यक्ति की सफलता का आधार उसकी विनम्रता होती है। यह बहुत बड़ी बात है। आदमी कितना पढ़ा लिखा हो मगर विनम्रता नहीं है तो सब बेकार है।
प्रदेश के राज्यपाल व कुलाधिपति मंगुभाई पटेल रविवार को जीवाजी विवि के अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में आयोजित सत्र 2021-22 के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए बोल रहे थे। आपने कहा कि आज मैं राज्यपाल हू, अगर मेरे में विनम्रता नहीं होगी तो राज्यपाल पद की क्या गरिमा। छोटे से छोटे लोगों से मिलना, उनका हालचाल जानना। यह बहुत जरूरी है। बड़े लोगों को बुलाते हैं तो आनंद हो जाता है। छोटे लोगों को मंत्री, राज्यपाल बुलाते हैं तो वह खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। समारोह के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने विद्यार्थियों से कहा कि यह शिक्षित हुए छात्रों को दीक्षित करने का कार्यक्रम है। दीक्षा मंत्र ताउम्र याद रखना है, क्योंकि तंत्र को चलाए रखने के लिए हमारा अपना यह मंत्र कारगर रहेगा। जब तंत्र और मंत्र में मजबूती से आगे बढ़ते हैं तो दुनिया के सभी षड्यंत्रों में सफलता के साथ शिक्षा मार्गदर्शन व धन्य करेगी। समारोह में 135 छात्रों को पीएचडी की डिग्री, 56 टॉपरों को गोल्ड मेडल व 108 छात्रों को पीएचडी की डिग्री दी गई। कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी ने दीक्षा शपथ दिलाई।
हमारा ग्वालियर मुकुटमणि है
हम सबको मालूम है कि मध्यप्रदेश में अनेकों कार्यक्रम हुए हैं, उससे देश भर में पहचान है, उसके कारण ही ग्वालियर हमारा मुकुटमणि है, हम इस बात को महसूस करते हैं। इतिहास के कई मौकों पर ग्वालियर ने अपनी भूमिका अदा की है। इससे हमारा प्रदेश शिक्षा के नाते से भगवान श्रीकृष्ण के काल से विशेष पहचान पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनिया में बनाता आया है। इस दौरान शिक्षामंत्री शायद यह भूल गए थे कि वह कृषि विवि के नहीं बल्कि जीवाजी विवि के दीक्षांत समारोह में हैं, लेकिन उनके मुख से राज्यपाल ने कृषि विवि के दीक्षांत को कभी पेंडिंग नहीं किया है, यह शब्द एक बार नहीं दो बार निकले। यह सुनकर कार्यक्रम और मंच पर बैठे लोग हतप्रभ थे।
61 साल की उम्र में मिला गोल्ड मेडल
समारोह में एमए ज्योतिर्विज्ञान में टॉप करके गोल्ड मेडल 61 साल के बुजुर्ग नितिन कुलकर्णी ने प्राप्त किया। मेडल पाकर उनकी खुशी चेहरे पर साफ झलक रही थी। श्री कुलकर्णी ने बताया कि दो साल पहले एमए ज्योतिर्विज्ञान में प्रवेश लिया था और आज मेडल पाकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। मैं यही संदेश देना चाहता हूं कि सिर्फ और सिर्फ पढ़ते रहना चाहिए। नितिन कुलकर्णी, छात्र एमए ज्योतिर्विज्ञान
चार मेडल मिलेंगे, यह नहीं सोचा था
दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल पाने के लिए मेहनत की थी, लेकिन चार मेडल मिलेंगे, यह नहीं सोचा था। काफी खुशी हो रही है। अब आगे रिसर्च करना है और जेयू में ही प्रोफेसर बनना है। छात्रा को कला संकाय में टॉप करने पर दो मेडल व एमलिव में सर्वाेच्च स्थान प्राप्त करने पर दो मेडल मिले हैं। साक्षी राठौर, छात्रा एमलिब
गोल्ड पाकर अच्छा लगा अब रिसर्च करना है
एमएससी जूलॉजी में सर्वाेच्च स्थान के लिए तीन गोल्ड मेडल प्राप्त कर काफी अच्छा लग रहा है। मुझे पूरा विश्वास था कि मेडल जरूर मिलेंगे, क्योंकि इसके लिए पूरी मेहनत व तन्मयता के साथ पढ़ाई की थी, अब आगे रिसर्च करना है। मानसी तोमर, छात्रा एमएससी
लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरणा मिली
एमबीए में सर्वोच्च स्थान और प्रबंध संकाय में दो स्वर्ण पदक राज्यपाल और उच्च शिक्षा मंत्री के हाथों पाकर काफी खुशी हो रही है। इससे जीवन में और मेहनत कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति करने के लिए प्रेरणा मिली है। अमेया चौहान, छात्रा एमबीए