देश में बाघों की औसत आयु 10-12 वर्ष, हर साल 6% की दर बढ़ी संख्या

देश में बाघों की औसत आयु 10-12 वर्ष, हर साल 6% की दर बढ़ी संख्या

नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि वर्ष 2006 से 2018 के दौरान लिए गए नमूनों की तुलना करने पर यह स्पष्ट हुआ है कि भारत में बाघों की संख्या छह प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रही है। लोकसभा में केशरी देवी पटेल, डा. संघमित्रा मौर्य और डा. चंद्रसेन जादौन के प्रश्न के लिखित उत्तर में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने यह जानकारी दी। सदस्यों ने पूछा था कि क्या यह सच है कि देश में प्रत्येक 40 घंटे में एक बाघ की मौत हो जाती है, इस पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा, जी, नहीं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जंगल में बाघों का औसत जीवनकाल आमतौर पर 10-12 वर्ष है और जंगल में वृद्धावस्था, रोग, परस्पर लड़ाई, शावकों में अत्यधिक मृत्यु दर, बिजली का करंट लगने, जाल/फंदे में फंसने, पानी में डूब जाने, सड़क/रेल दुर्घटनाओं आदि जैसे विभिन्न कारक बाघों की मौत का कारण बनते हैं।

बाघों के संरक्षण के लिए चलाई जा रही है योजना

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2018 के अनुसार, भारत में बाघों की संख्या 2967 होने का अनुमान लगाया गया था। चौबे ने कहा कि वर्ष 2006 से 2018 के दौरान लिए गए नमूनों की तुलना करने पर यह स्पष्ट हुआ है कि भारत में बाघों की संख्या छह प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बाघों के संरक्षण, बाघों और अन्य वन्यजीव संरक्षण संबंधी जागरूकता बढ़ाने, पयार्वास प्रबंधन, संरक्षण, बुनियादी ढांचे के विकास आदि कार्यो हेतु बाघ बहुल राज्यों के लिए बाघ परियोजना नामक केंद्रीय योजना चल रही है। आंकड़ों के अनुसार, बाघ परियोजना के तहत वर्ष 2019-20 में 2.82 करोड़ रुपए, 2020-21 में 1.94 करोड़ रुपए, वर्ष 2021-22 में 2.19 करोड़ रुपए और वर्ष 2022-23 में 28 फरवरी 2023 तक 78.70 लाख रुपए जारी किए गए।