ज्ञानवापी मसले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुस्लिम पक्ष, सर्वे के फैसले को चुनौती

ज्ञानवापी मसले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुस्लिम पक्ष, सर्वे के फैसले को चुनौती

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा गुरुवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे के आदेश के बाद अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। याचिका में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। मस्जिद कमेटी के वकील ने मामले का जिक्र करते हुए कहा कि एएसआई को सर्वे की इजाजत न दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मुद्दे पर गौर करेगा।

कैविएट भी दाखिल :

इससे पहले काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं में से एक ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दायर की। इसमें मांग की गई है कि अगर मुस्लिम पक्ष सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले आदेश के खिलाफ याचिका दायर करता है, तो पहले उसका पक्ष सुना जाए। मोबाइल बैन: प्रशासन ने काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में 4 से 7 अगस्त तक मोबाइल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। मस्जिद परिसर में होने वाले सर्वे को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी सर्वे की इजाजत

इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सर्वे को हरी झंडी दे दी। अब शुक्रवार से सर्वे शुरू होगा। इससे पहले 21 जुलाई को वाराणसी जिला जज ने एएसआई सर्वे का आदेश दिया था। 

बौद्ध समाज की भी एंट्री :

उधर, इस केस में बौद्ध समाज की भी एंट्री हो गई है। गुरु सुमित रतन भंते ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनका दावा है कि ज्ञानवापी उनका मठ है। उन्होंने कहा कि देश में तमाम ऐसे मंदिर हैं, जो बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं।

क्या है मामला: 1991 में, काशी विश्वनाथ मंदिर के भक्तों द्वारा एक मुकदमा दायर किया गया था, जिसके पास ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है। इसमें आरोप लगाया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर भगवान विश्वेश्वर मंदिर को नष्ट करने के बाद किया गया था।

एएसआई शुक्रवार से ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण का काम शुरू करेगा। उसने सर्वे के लिए प्रशासन से सहयोग मांगा है, जो उसे दिया जाएगा। - एस. राजलिंगम, जिलाधिकारी वाराणसी

मंदिर हो या मस्जिद, वह सबका एक ही है। आप उसे मंदिर में देखें या मस्जिद में, कुछ फर्क नहीं है। - फारूक अब्दुल्ला, अध्यक्ष नेशनल कॉन्फ्रेंस