तिघरा से एक दिन छोड़कर पानी पर सदन में तनातनी, बाहर बात होते ही दी स्वीकृति

तिघरा से एक दिन छोड़कर पानी पर सदन में तनातनी, बाहर बात होते ही दी स्वीकृति

ग्वालियर। तिघरा में पानी की कमी के चलते शहरवासियों को एक दिन छोड़कर सप्लाई देने के मुद्दे पर सहमति दे दी गई। लेकिन इससे पहले सदन में सत्तापक्ष-विपक्ष के नेता दो-तीन बार लेटलतीफी, जिम्मेदारों द्वारा समय पर ध्यान न देने, लीकेज के लिए मध्यप्रदेश सरकार के जिम्मेदार होने सहित अन्य बातों लेकर जबरदस्ती की तीखी नोकझोंक देखी गई। वहीं हंगामा बढ़ने पर सभापति मनोज तोमर को 5 मिनट के लिए बैठक स्थगित करनी पड़ी। जिसके बाद सभापति, नेता प्रतिपक्ष हरिपाल व विधायक प्रतिनिधि कृष्णराव दीक्षित की सदन के बाहर चर्चा हुई। साथ ही पुन: बैठक शुरू होते ही सदन ने सर्वसम्मति से एक दिन छोड़कर पानी देने पर सहमति दे दी। शुक्रवार की दोपहर 03 बजे जल विहार स्थित परिषद कार्यालय में 09 बिंदु वाले विशेष सम्मेलन की शुरूआत हुई।

जिसमें कार्यवृत्तों की पुष्टि के बाद पार्षदों व उनके परिजनों का 05-05 लाख का पारिवारिक बीमा कराने पर सहमति दी गई। इसके बाद सदन में पानी देने के मुद्दे पर सत्तापक्ष को निशाने पर लेते हुए पार्षद अनिल सांखला ने कहा कि दो महीने पहले एक दिन छोड़कर पानी देने का प्रस्ताव आ गया था, तो सदन में आने के लिए लेट क्यों हुआ। ये गंभीर अनियमितता है, जिसका परिणाम जनता को भुगतना होगा। पार्षद अपर्णा पाटिल ने कहा कि पेयजल व्यवस्था देखने वाले पत्थर दिल हो गए हैं। यही कारण है कि उन्हें अमृत के लीकेज शिकायत के बाद भी दिखाई नहीं देते हैं। एमआईसी सदस्य अवधेश कौरव ने कहा कि सदस्य बिंदु की जगह आरोप प्रत्यारोप लगाते हैं, एक दिन पानी छोड़कर पहले एमआईसी के निर्णय को सदन में सूचना के लिए भेजा जाता था और 2012 से 2023 तक कई बार पूर्व महापौरों ने एक दिन छोड़कर पानी देने का निर्णय लिया है।

वहीं लीकेज में लापरवाही 57 साल का बिगड़ा ढर्रा है, जिसमें मध्यप्रदेश शासन की लापरवाही के चलते अभी तक सुधारा नहीं गया है और इससे लाखों का पानी रोज बर्बाद हो रहा है। इस बात पर विपक्ष ने सत्तापक्ष में होने पर कड़वी बातें स्वीकार करने की जिम्मेदारी लेने की बात पर हंगामा हो गया। जिस पर सभापति ने बैठक 5 मिनट को स्थगित कर दी और इसी बीच सभापति, नेता प्रतिपक्ष व विधायक प्रतिनिधि की बाहर बात हुई। साथ ही सदन पुन: शुरू होते ही पानी देने के मुद्दे को सहमति दे दी गई। वहीं निगम परिषद के नवीन भवन के मामले में निगमायुक्त ने अगले 10 दिन में टेंडर करने व अगले बजट में हेड बनाने के प्रावधान की जानकारी देते ही बिन्दु समाप्त कर दिया।

पहले 70 करोड़ का हिसाब व 130 करोड़ की प्लानिंग दें अधिकारी

पार्षद ब्रजेश श्रीवास, नागेन्द्र राणा, जितेन्द्र मुद्गल ने कहा कि 70 करोड़ पहले आ चुके हैं, वे कहां खर्च हुए हैं, क्या मनमर्जी या आवश्यकता अनुसार राशि खर्च हुई है अथवा नहीं, कि जांच होना चाहिए। साथ ही 130 करोड़ की राशि के लिए क्या प्लानिंग है और पहले मिल चुकी राशि में से कितनी राशि अभी शेष होने की जानकारी सदन में दी जाए। जिस पर सदन में सभापति ने पीआईयू सेल द्वारा विवरण देने के निर्देश देते हुए प्रस्ताव को वापस किया गया।

गालव व शो टैक्स मुद्दे को तत्काल मिली स्वीकृति

निगम परिषद में गालव विश्रांति गृह के मुद्दे पर एमआईसी से एक लाख दर के प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष द्वारा 80 हजार किराया, 10 हजार सफाई शुल्क व 18 प्रतिशत जीएसटी सहित लगभग 1.04 लाख देने व मल्टी प्लेक्स व साधारण सिनेमा से प्रत्येक शो की दर 200 व 100 रुपए करने के प्राप्त प्रस्ताव को सदन ने बिना बहस के ही सहमति दे दी।